सब्र के कड़वे घूंट पी रहा हूँ।
बेशक जिंदगी के मिठास छिन रहे है।
पर शहद जैसी भविष्य के विश्वास दे रहे है।-
Nilesh Patel
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प्रकृति प्रेमी
Joined 19 April 2020
17 FEB 2022 AT 15:49
16 FEB 2022 AT 9:17
अब लिखा नही जा रहा अल्फ़ाज मुझसे
मेरी स्याही आँसुओ संग बह गई ।
जज्बात सुन नोख भी टूट कर गिर पड़ा।
ऐसी रही कहानी मेरी।
सुख रहे है समंदर के पानी मेरी।
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19 JAN 2022 AT 22:49
समझ नही आता ये दिल है या खेल का मैदान
लोग आते है, खेलते है चले जाते है।-
14 JAN 2022 AT 14:39
खुशनसीबी उनकी जिनकी मर्ज पहचानती है दुनिया..
बाकी मुस्कुराने वालो की तो खैर छोड़िए....-
30 DEC 2021 AT 20:30
होंगे कुछ अवगुण महात्मा (गांधी जी) में ..
उनके कोई एक गुण तुम में हो तो बात करो...😎-