Nilesh Patel  
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प्रकृति प्रेमी
Joined 19 April 2020


प्रकृति प्रेमी
Joined 19 April 2020
17 FEB 2022 AT 15:49

सब्र के कड़वे घूंट पी रहा हूँ।
बेशक जिंदगी के मिठास छिन रहे है।
पर शहद जैसी भविष्य के विश्वास दे रहे है।

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16 FEB 2022 AT 9:17

अब लिखा नही जा रहा अल्फ़ाज मुझसे

मेरी स्याही आँसुओ संग बह गई ।

जज्बात सुन नोख भी टूट कर गिर पड़ा।

ऐसी रही कहानी मेरी।

सुख रहे है समंदर के पानी मेरी।

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24 JAN 2022 AT 19:15

जमीं से कोई सिकायत नही..
पर चाहत जरूर है आसमां तक जाने की।

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19 JAN 2022 AT 22:49

समझ नही आता ये दिल है या खेल का मैदान
लोग आते है, खेलते है चले जाते है।

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19 JAN 2022 AT 19:57

वो मुझे हर कीमत पर चाहिए
जिसे कोई मुफ्त में ले जाने वाला है।

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19 JAN 2022 AT 19:37

ये ढाई लफ्ज का बोझ
दो लोग मिलकर नही उठा पाए।

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17 JAN 2022 AT 19:14

नाराज है।
पर यह भी राज है।।

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14 JAN 2022 AT 14:39

खुशनसीबी उनकी जिनकी मर्ज पहचानती है दुनिया..

बाकी मुस्कुराने वालो की तो खैर छोड़िए....

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14 JAN 2022 AT 14:32

दिल मेरा अपनी हदें लाँघ रही है,

भगवान से फिर तुझे मांग रही है।

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30 DEC 2021 AT 20:30

होंगे कुछ अवगुण महात्मा (गांधी जी) में ..

उनके कोई एक गुण तुम में हो तो बात करो...😎

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