4 SEP 2019 AT 21:47

तु खुद की खोज में निकल, क्यों तू हताश है।
तु चल तेरे वजूद की, समय को भी तलाश है।।

जो तुझसे लिपटी बेड़िया, समझ ना इसको वस्त्र तू।
ये बेड़िया निकाल के, बनाले इसको शस्त्र तू।।

चरित्र जब पवित्र है, तो क्यों है ये दशा तेरी।
ये पापियों का हक़ नहीं, के ले सके परीक्षा तेरी।।

जला के भस्म कर उसे, जो क्रूरता का जाल है।
तू आरती की लौ नहीं, तू क्रोध की मशाल है।।

चुनर उड़ाके के ध्वज बना, गगन भी कांप जायेगा।
अगर तेरी चुनर गिरी, तू एक भूकंप आ जायेगा।।

तू खुद की खोज में निकल, क्यों तू हताश है।
तू चल तेरे वजूद की, समय को भी तलाश है।।

- Neel N.N.