Nilesh k   (कौशिक)
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Joined 2 November 2018


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26 NOV 2021 AT 3:18

Maybe not in my life
But
You are always there with me
Inbetween the pages of my dairy

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7 MAY 2021 AT 0:31

महज ख़्वाब नहीं
एक खूबसूरत कहानी हो तुम
सुलझी हुई हो मगर
मेरी एक उलझन बड़ी प्यारी हो तुम
मेरे मन के शोर में
सुकून का एहसास हो तुम
मेरे चेहरे का आब
मेरी मुस्कान हो तुम

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7 APR 2021 AT 21:35

ख्वाबों सी खूबसूरत तुम
और नींद की तालाश में हम

पर न चैन की नींद मिली
ना पल भर तुम

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20 JAN 2021 AT 1:19

Hopelessly in love
But
Not Hopeless to be loved

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11 OCT 2020 AT 1:48

You were never the attraction
You are always my satisfaction

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12 AUG 2020 AT 19:09

आसमां में टिमटिमाते सितारों सी ये आंखें
मानो किसी संजिदे गजल से चेहरे पर
एक खूबसूरत शेर हो जैसे
कई हसीन ख़्वाब सजाती ये आंखें
जुबां से भी ज्यादा बोलती ये आंखें
थोड़ी चुलबुली, थोड़ी मासूम ये आंखें
चेहरे का नूर ये खूबसूरत, तीखी आंखें

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25 JUL 2020 AT 12:36

HOW WHEN & WHY...



HOW WHEN & WHY
just three simple words but still the biggest mystery to solve,
the hardest questions to look an answer for.

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10 JUL 2020 AT 23:47

अब फ़र्क नहीं पड़ता

कोई पूछे अगर तो अब कह दिया करता हूं
की तेरे जाने से मुझे अब फ़र्क नही पड़ता
पर न जाने क्यों ये कहते हुए
मुझे अब भी फ़र्क पड़ता है

अपने रकीब की बाहों में बाहें डाल तुझे
घूमता देख मुझे यूं तो अब फ़र्क नहीं पड़ता
पर न जाने क्यों कभी जो कोई और कह दे तो
मुझे अब भी फ़र्क पड़ता है

तेरा न होने से मुझे
अब फर्क नहीं पड़ता
पर तेरे न होने से ना जाने क्यों
मुझे अब भी फर्क पड़ता है

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26 JUN 2020 AT 3:57

हम दोस्त ही तो अच्छे हैं

सुनो चलो ना
हम एक और बार फिर सब दोहराते है
चलो ना एक और बार एक दूसरे को उसी जगह ले जाते है
हां उसी क्लासरूम में... जहां हम पहली बार मिले थे
पर चलो इस बार हम मेरी एक तरफा मुहब्बत को कहीं दबाते है
और तुम्हारी दोस्ती वाला वो angle भी आजमाते है
क्योंकी शायद हम दोस्त ही तो अच्छे है

चलो इस बार तुमसे हम अपनी मुहब्बत का इज़हार न करते है
बैठे किसी रोज़ थोड़ा खुल कर और बात तो करते है
चलो बातें हम थोड़ी बे फ़िज़ूल ही करते है
थोड़ा सताते, थोड़ा हसाते
चलो हम खूब मुस्कुराते है
क्योंकि शायद हम दोस्त ही तो अच्छे है

चलो इस बार बातें बेहिसाब करते है
थोड़ी तुम अपनी बताना
थोड़ा हम तुम्हे सुन लेते है
और उन्हीं बेहिसाब बातों में कहीं
तुम हमें पहचानने की कोशिश करना
और चलो ना थोड़ा हम भी तुम्हे जान लेते है

सुनो चलो ना
हम एक और बार कोशिश तो करते है
एक और बार किसी रोज़ कहीं
हम अजनबियों की तरह मिलते है
चलो ना फिर एक बार सब दोहराते है
चलो ना फिर एक बार हम दोस्त तो बन जाते है
क्योंकि तुम ही कहती थी ना
शायद हम दोस्त ही तो अच्छे है

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22 JUN 2020 AT 3:38

"कुछ तो खास था उसमे"

हां कुछ तो खास था उसमें
एक अलग सा एहसास था उसमें
शायद वो आब था उसके चेहरे का
या उसके होठों की वो मुस्कान थी
या फ़िर शायद मेरे अस्थिर से मन को
स्थिर करने वाली उसकी मीठी सी वो आवाज़ थी

ना जाने वो क्या था
पर हां कुछ तो खास था उसमे
जो मेरी आंखे यूं उसकी दीद को बेताब थी
ख्वाबों में भी कभी खो न दू उसे बस
इस सोच से ही मानो मेरी धड़कन थमने को तैयार थी

ना जाने वो क्या था
पर हां कुछ तो खास था उसमे
जो उसके ऐब, उसकी खामियां भी
मुझे कमाल लगती थी
न जाने ऐसा क्या था उसमे
जो उसकी ख़ामोशी मुझे डराती
तो बातें मुझे सुकून दिया करती थी

कुछ तो खास था उसमे
जो मेरे सीने में धड़कता दिल भी उसके नाम था
मरा मन बस उसका होने को बेताब था और
मैं उसका सिर्फ उसका ही होने को तैयार था

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