।क्षत्रिय। बिछे जो तेरी राह में वो बेबसी के शुल हें न डर किसीको अंत तक ये दुश्मनों कि भुल हैं कदम कदम रूकाएगा जो डर तुम्हारा आज हे न डर किसीको अंत तक ये युद्ध का आगाज़ हैं डगर डगर मिलेगी तुझको रावणो कि बस्तीयां मचा दे तांडव मिला दें ख़ाक में वो हस्तीयां तु दे धड़क उठा खड्ग तु क्षत्रियोका अंश हैं तु लड़ झगड़ उड़ा दे सर तु क्षत्रियोका अंश हैं तु क्षत्रियोका अंश हैं