मुझे देखे बिना करार ना था, एक ऐसा भी दौर गुज़रा है,
झूट मानो तो पूछ लो दिल से, मैं कहूँगा तो रूठ जाओगे।-
आज फिर ज़िक्र हुआ उसका किसी और के ज़ुबान से,
चलो कुछ पुराने अफ़सानें याद आ गये इसी बहानें से।-
तु बता मुझे तु साँसे है, धड़कन है, या है कोई वजह,
तेरे जातें ही मेरी शायरी ने दम तोड़ दिया।
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यूँ भी तो शहर भर में मेरा कोई ठिकाना ना रहा,
मैं गुज़र गया यूँ कि मेरा ज़माना ना रहा।
ये जो आप लिए बैठें है मेरे क़िस्से सनम,
क्या ज़माने भर में और कोई अफ़साना ना रहा।
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उसने दिल का हाल बताना छोड़ दिया,
हमने भी गहरायीं में जाना छोड़ दिया।
जब उसको हि दूरी का अहसास नहीं,
हमने भी अहसास दिलाना छोड़ दिया।
मैंने कहा रास्ते है मुश्किल बहोत,
उसने तब से साथ निभाना छोड़ दिया।
जब हमने कहा कीं करना याद दुआओं में,
उसने दुआओं में हाथ उठाना छोड़ दिया।
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एक शक्स के खो जाने का डर क्यूँ नहीं जाता,
ये बोझ मेरे दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता।
मंज़िल पर पोहच कर भी उसे खोना पड़ेगा,
ये अगर तय है तो शौक़-ऐ-सफ़र क्यूँ नहीं जाता।
ये वक्त मुझे तुझसे जुदा कर तो रहा है,
ये वक्त इसी वक्त ठहर क्यूँ नहीं जाता।-
कोई आसपास नहीं रहा तो ख़याल तेरी तरफ़ गया,
मुझे अपना हाथ भी छूँ गया तो ख़याल तेरी तरफ़ गया।
कोई आकर जैसे चला गया, कोई जाकर जैसे गया नहीं,
मुझे अपना घर भी बेघर लगा तो ख़याल तेरी तरफ़ गया।
मुझे कब किसीकी उमंग थीं, मेरी अपने आपसे ज़ंग थीं,
हुआ जब शिकस्त का सामना तो ख़याल तेरी तरफ़ गया।
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ख़त के छोटे से तराशें में नहीं आएँग़े,
ग़म ज़्यादा है लिफ़ाफें में नहीं आएँगे।
उसकी कोई ख़ैर-खबर हो तो बताओ यारों,
हम किसी और दिलासें में नहीं आएँगे।
मुख़्तसर वक्त में ये बात नहीं हो सकती,
दर्द इतने है खुलासें में नहीं आएँगे।
जिस तरह आपने हमसे रूखसत लीं है,
साफ़ लगता है जनाज़े में नहीं आएँगे।-
जैसे ख़्वाब सा देखा था, कुछ याद नहीं,
एक जमाना बीत गया, कुछ याद नहीं।
एक पैमान-ऐ-वफ़ा था, कैसे टूट गया,
आप को भी कुछ याद है, या कुछ याद नहीं।-
ख़ुदा जाने क्या वास्ता है तुमसे,
हज़ारों अपने है मगर याद सिर्फ़ तुम आते हो...-