I lost myself when...
I became a reflection of their needs,
not my truth.
I allowed them to steal pieces of me.
Someone took my warmth,
Someone dimmed my softness,
Someone reshaped my dreams to fit their comfort,
And someone’s harsh touch shattered my delicacy.
One day, I looked in the mirror,
and the eyes staring back were unfamiliar...
I lost my worth in trying to please everyone.-
मेरा लेखन जीवन, प्रेम और मन की जटिलताओं को समझने की यात्रा है।... read more
उस रब्त उस लगाव से मुझको निजात दे
बरसो पुराने घाव से मुझको निजात दे
रिश्ता पुराने घर की तरह ढह गया है जो
अब उसके रख-रखाव से मुझको निजात दे-
The desire to be loved the way we are,
is actually a silent acceptance.
The gesture that heals more than it demands.-
सब्र से काम लो रात ढल जाएगी
सुब्ह होते ही क़िस्मत बदल जाएगी
कितनी भी क्यूँ न लंबी हो कोई सुरंग
चलते रहने से बेशक निकल जाएगी
रोने से सिर्फ़ धुंधलाएंगे रास्ते
मुस्कुराने से कश्ती सँभल जाएगी
हौसले की शरर दिल में जलती रहे
तीरगी रेत जैसी फिसल जाएगी
डांट फटकार ही बस तरीका नहीं
मीठी बातों से भी दाल गल जाएगी-
हिन्दी हर धड़कन की खनक है
मिट्टी की सौंधी सी महक है
हिन्दी संस्कृति की गरिमा है
पीढ़ियों से बहता झरना है
तुलसीदास का राम स्मरण है
वेदों, ग्रंथों का संगम है
मीरा की करुणा का स्वर है
कबीर वाणी का जागर है
इसमें ब्रज की कोमलता है
खड़ी, बोली की गंभीरता है
भाव भी इस में हैं अवधी के
प्रवाह लाखों, एक नदी के
हिन्दी हर दिल की भाषा है
भारत की गौरव गाथा है
हिन्दी ने संस्कार सिखाए
जो जीवन भर राह दिखाए-
बहुत ज़िद्दी है ये नियती बड़ा मजबूर करती है
जो दिल के पास होते हैं उन्हीं को दूर करती है
सभी के दिल में इक मासूम सी ताबीर होती है
हक़ीक़त की गिरह मासूमियत को चूर करती है
किसी के नूर की ताबिश से इतना खींचते मत जा
ज़ियादा रौशनी अक्सर हमें बेनूर करती है
वो जब औरों के खातिर ख़ुद ही अपना दिल दुखाती है
हमेशा के लिए क़ायम यही दस्तूर करती है
ग़ज़ल के फ़न से गहरे रंज में कुछ रंग भरने से
कलम दिल की हर इक तहरीर को मशहूर करती है-
दिल की बातों को कह गई आँखें
राज़ सब पल में ढ़ह गई आँखें
बाद तेरे भी मुस्कुराए लब
जाने क्यूँ तनहा रह गई आँखें
सूखे गुलशन खिलाने के ख़ातिर
कितने सैलाब सह गई आँखें-
शराफ़त अभी भी मरी तो नहीं है
मुसलसल जो रहती हूँ मैं बेख़ुदी में
तेरी ही ये जादूगरी तो नहीं है-
हर लम्हा मेरे नाम है, कहते तो हो मगर
जाने क्यों साथ सिर्फ़ तेरा इंतज़ार है-
होंठों पर मुस्कान लिए
आँखों में अरमान लिए
उम्मीदों का परचम लहरा
मंज़िल का ऐलान लिए
सपनों का अभियान लिए
दिल में उजली शान लिए
ग़म की आँधी पास सही
फिर भी जज़्बे जान लिए
यादों का सामान लिए
आँसू का पैमान लिए
राह में चलते जाना होगा
साथ कई तूफ़ान लिए
मन में अटल ईमान लिए
सांस में जीवन गान लिए
अंधेरों को मार गिराए
सच का रोशनदान लिए-