4 JUL 2019 AT 17:04

ज़िन्दगी भी क्या खूब मजे ले रही है,
आयी हूँ एक अनजान शहर में।
एक अनजान परिंदे की तरह,
आँखों में कुछ सपने लेकर ।
और दिल में उम्मीद की उड़ान लेकर,
लेकिन ऐसे पंख किस काम के !
जहाँ परिंदे क्षितिज से मिलन
होते देखना नहीं चाहते ।

- Mindless writer✍️(nikki)