*यूं ही नही वो इतनी खास है*
वो दूर होके भी पास है,
एक अनसुना , अनदेखा इतिहास है,
एक राहगीर की प्यास है,
यूं ही नही वो इतनी खास है।
धूप में ठंडी हवा का झोंका है,
सब हार जाने के बाद जिंदगी दुबारा जीने का मौका है,
वो किताबों मे लिखे शब्दों का अर्थ है,
उसके बिना मेरी सारी कहानियाँ व्यर्थ है,
किसी मुसाफिर के थम जाने की आस है,
यूं ही नही वो इतनी खास है ।
वो इंसान के हर मुकाम हासिल करने के बाद की बेबसी है,
वो किसी फकीर की हसी है,
वो बेघरों का मकान है,
रोते हुए बच्चों की मुस्कान है,
जिंदगी में कुछ हासिल करने का उल्लास है,
यूं ही नही वो इतनी खास है ।
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