"कुछ यूँ आपके प्रेम में हम इस क़दर घायल हो गए,
बहते गए अश्कों से आँसू और हम मशहूर शायर हो गए।।"-
🙏🙏🙏
देते हैं हमेशा ही सच्चाई का साथ,
रहते हैं वहाँ जहाँ दिल हो साफ,
ये मत प... read more
"Anniversary Epistle 💌(16 june)"
To: Mausi👩❤️💋👨Mausa ji
मुस्कुराते रहें मस्त मौसी-मौसा मेरे मज़े में।
मेरी यही है दुआ आपको Marriage Anniversary में।।
अक्सर तो मौन ही रहते हैं वैसे थोड़ा मौसा जी।
मत पूछो मुझसे मज़ेदार कितनी हैं Madam मौसी जी।।
मन ही मन सोचूँ मौसी को बर्दाश्त करते कैसे होंगे मेरे मौसा जी।
Madam मौसी तो कहती हैं मस्त-मलंग बच्चे हैं एकदम मौसा जी।।
My krishna bless always to my मौसी & मौसा जी।
दिल से दिल तक प्रेम जीवन भर आपका सदा बना रहे यूँही।।
Happy Marriage Anniversary 💘-
"कुछ तो है तुममें"
कुछ तो है तुममें जो हम जान नहीं पा रहे हैं,
देखकर भी तुमको तुम्हें हम पहचान नहीं पा रहे हैं।
कुछ तो है तुममें जो हम देख नहीं पा रहे हैं,
तलाश में हैं तेरी पर तुम्हें हम ढूँढ नहीं पा रहे हैं।
कुछ तो है तुममें जो हम तलाश नहीं पा रहे हैं,
सुनकर भी तुमको तुम्हें हम समझ ही नहीं पा रहे हैं।
कुछ तो है तुममें जो हम जान नहीं पा रहे हैं,
देखकर ख़्वाबों में तुमको अब हम सो भी नहीं पा रहे हैं।
कुछ तो है तुममें जो हम भुला नहीं पा रहे हैं,
लिखकर के तुमको तुम्हें हम मिटा भी नहीं पा रहे हैं।।-
"तू मिले या ना मिले ये तो मुकद्दर की बात है।
लेकिन सुकून बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर।।"-
"राहों में चलते चलते जब अकेले हो गई,
तब जाकर पूरे दिल से कान्हा मैं तेरी हो गई।।"-
"मेरा सर्वस्व तुमको समर्पित"
♥️♥️♥️♥️♥️♥️
बनो जो मूरत मेरे राधेश्याम सुंदर के तुम,
तो बनकर हार गुलाब का तेरे सीने से लग जाऊँ मैं।
बनो जो दिल मेरे कृष्ण कन्हैया के तुम,
तो बनकर धड़कन तेरी तुझमें ही धड़कती जाऊँ मैं।
बनो जो आकर धरती पर मेरे सियाराम तुम,
तो बनकर हनुमान अपना चीरकर सीना तुझे दिखाऊँ मैं।
बनो जो कोई वेदिक मंत्र का रूप क्यूँ न तुम,
तो बनकर ऊर्जा सारी तेरे ऊँ-ऊँ में समा जाऊँ मैं।
बनो जो कोई विष का प्याला भी क्यूँ न तुम,
तो बनकर मीरा इस प्रेम अमृत को तेरे पीती ही जाऊँ मैं।
बनो जो कालों के काल मेरे भोलेनाथ तुम,
तो बनकर चाँद आधा तेरी जटाओं में सँवर जाऊँ मैं।
बनो जो वृंदावन धाम या बनारस का घाट तुम,
तो बनकर माटी सदा के लिए तेरी गोद में ही सो जाऊँ मैं।
—हरि ऊँ तत्सत्
🌼🤍🌼🤍🌼🤍-
"आख़िरकार हार जाती है हर ज़िंदगी यहाँ हार से।
परिवर्तन के अलावा कुछ भी स्थाई नहीं यहाँ ज़िंदगी में।।"-
"बताने वाला बता गया हम सुन न सकें।
सुनने वाला सुना गया तुम समझ न सके।।"-
"ये ज़िंदगानी"
ज़िंदगी जीने चली थी ज़िंदगी लिखने लगे हम।
प्रेम बटोरने चली थी प्रेम बिखेरने लगे हम।।
मरहम लगाने चली थी दर्द सहने लगे हम।
आँसू पोंछने चली थी अकेले रोने लगे हम।।
शाँति ढूँढने चली थी भीड़ में अकेले रह गए हम।
रिश्ते सँभालने चली थी चूर-चूर हो गए हम।।
ज़िंदगी जीने चली थी ज़िंदगी लिखने लगे हम।
प्रेम बटोरने चली थी प्रेम बिखेरने लगे हम।।
पहचान बनाने चली थी व्यक्तित्व गड़ने लगे हम।
दुनिया को बदलने चली थी ख़ुद सुधरने लगे हम।।
ख़ुद की तलाश में चली थी ख़ुदा को पा गए हम।
सच से जीतने चली थी आख़िरकार सब से हार गए हम।।-
"एक वजह होनी चाहिए बस जीने की,
वरना ज़नाजे पर सोना हम भी जानते हैं।।"-