Nikita Pandey   (NIKink)
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बस खुद को बेहतरीन बनाने के सफर पर
_nik_sagittarius_p
Joined 5 May 2020


बस खुद को बेहतरीन बनाने के सफर पर
_nik_sagittarius_p
Joined 5 May 2020
14 SEP 2024 AT 22:39

तुम सफेद रंग का कुछ भी मत पहनना.......
मेरे दूर जाने पर रंग मत करवाना अपने बालों को थोड़े अलग हैं पर तुम्हारी पहचान है.....
तुम आना बस आंखों में थोड़ा लाड लिए..... वो गुलाबी शर्ट पहने जिसे लेके मैं हमेशा खीजती थी तुमसे...
वो मुस्कान ओढ़े जिसे देखके मैं हमेशा मौन हो जाया करती थी.....
और फिर जब सब लौट जाएं....तुम बांध लेना थोड़ी सी राख मेरे कढ़ाई किए हुए रुमाल में.... मैं तुम्हारे प्रेम में बंधी तुम्हारे पास रहना चाहती हूं...हमेशा.....
© निक्की

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8 APR 2024 AT 22:12

इश्क की हर हद पार कर आए
कदमों में उसके अपनी खुशी बेजार कर आए
कुछ इस तरह उसको
खुदा की तरह माना हमने
कि हमारे बुलावे पर ना आया वो
पर उसकी इक आवाज पे
खुद को मयस्सर कर आए
© निक्की

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7 APR 2024 AT 13:42

तुम्हारी आंखों में देख कर जाना
पूरी दुनिया मिल जाने का सुकून कैसा होता है
© निक्की

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29 JAN 2024 AT 17:34

कुछ गुलाब और दिल
मुरझाने के लिए होते हैं
© निकिता पांडेय कृष्णावत

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17 DEC 2023 AT 20:35

मैं झुमके बिंदी वाली हूं
वो जींस शॉर्ट्स वाला है...
मैं मंजिल चलने वाली हूं
वो राह भटकने वाला है...
मैं बातें छोड़ने वाली हूं
वो जिद मनवाने वाला है..
मैं एक कप चाय वाली हूं...
वो महफिल मयखाने वाला है...
© निक्की

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14 DEC 2023 AT 11:31

सुनो हमसफर क्या साथ निभा पाओगे...
खौफ दुनिया का लिए
आगे पीछे सब चलते हैं
क्या तुम साथ चल पाओगे...
चांद तारे तोड़ने की बात सब करते हैं
क्या मेरा चांद तुम बन पाओगे...
बेइंतहा गौर वर्ण की खूबसूरत नहीं मैं
क्या मेरे सांवले रंग में तुम रंग पाओगे...
सुनो हमसफर....
© Nikki

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29 AUG 2023 AT 23:12

थोड़ा सा जिद्दी वो
है बात पर अपनी तारीफ मांगता.…
रूठने की कला में निपुण
मेरी मुस्कान की ताप से
ग्लेशियर की तरह पिघलता.….
कैसे समझाऊं मैं
हाव भाव रंग ढंग उसके
शब्दों में कहने को काफी नहीं
उसकी आंखों में देख
मेरे चेहरे की भाव भंगिमा में
उसकी तारीफ का प्रतिबिंब है झलकता
© निकिता पाण्डेय कृष्णावत

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21 OCT 2022 AT 22:53

फूल तो तुम्हें सालों पहले दिए थे
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पर आज तुम्हारे मुझे देख
नजरंदाजगी रवैए ने
उन्हें मुरझा दिया

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20 SEP 2022 AT 19:07

चाहे दूर चली जाए हमारी राहें कितनी
पर मैं तुझे मिलूंगी यहीं
खौफनाक अंधेरे में घिरोगे जहां भी
बेखौफ सी रोशनी बन मैं जलूंगी वहीं
अंदाज़ - ए - इश्क थोड़ा अलग है मेरा
लिखूंगी तेरा नाम मैं इस आसमान पर
और माशूकाओं जैसे पत्थर पर खुरचुंगी नहीं
© निकिता पांडेय कृष्णावत 💞🦋

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15 SEP 2022 AT 8:21

ललाट दिव्यमान नाम के पर्याय जैसे
स्वभाव विपर्याय रूप में मध्यम नरम है
मलंग सा अपनी चाल में वो ऐसे
मुस्कुराए तो लगे की खुदा का करम है
कुछ छिटपुट बातों से ही दिल जीतने वाला
लगा पहली बार मुझे कि
मृगमरिचिका जैसा एक सुंदर भरम है
रूबरू आने पर जाना
बाम कर्ण के तले तिल का धनी वो
विरल से हृदय में सबके लिए प्रेम संभाले
बाह्य आंतरिक विभेद का एक मर् म है
© निकिता पांडेय कृष्णावत 💓💓

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