किस्से बहोत हैं सुनाने को जिंदगी के
कभी दिल से सुनो तो बताना,
कुछ दुख के भी ,कुछ सुख के भी
कुछ महसूस नही हुए उसके भी
इन्हें भी समझ सको तो बताना— % &-
कुछ अपने ही असर में
छोड़ आये उस दुनिया को
दुःख और सुख महसूस होता था जहां
दो - दो चेहरे होते हैं वहाँ लोगो के
उस फ़रेब के समंदर से
निकल आये अब ,हर जज़्बात से आजाद हु
अब तो इंसान नही ,जल्लाद ही हु
एक जज़्बातहीन इंसान जिसे कुछ
महसूस नही होता ✍🏾✍🏻-
वक्त ने ,हमें वक्त के साथ जीना सीखा दिया, ठोकरे खायी जा रही थी जिंदगी इधर उधर मंजिल के अभाव में,उसी वक्त ने सही रास्ता भी दिखा दिया, अपने- परायो ने अपने व्यवहार जता दिये,वक्त ने इनके असली चेहरे दिखा दिए , दुनिया मतलबी ,मतलबी इंसान है ,ऐसे लोगो से मेरी आत्मा परेशान है 😐
-
सुनी आंखे ,ओझल आस, कतरा कतरा बढ़ती प्यास, पेड़ के नीचे सहमे साए,आँगन आँगन धुप उदास ,चेहरे पर चेहरे ही चेहरे ,मन का लेकिन एक लिबास,दिल में यू उगती है चाहत ,जंगल के बीच कंटीली घास ,वो मेरे दिल मे रहता है ,फूलों में रहती बांस ,ऐसे उम्र गुजारी हमने जैसे काट लिया वनवास ,भीख मांगती सबकी नियत ,देने को क्या किसके पास,हर दिल मे मरने की हसरत,जीवन किसको आया रास,,,,
𝓢𝓾𝓻𝓮𝓼𝓱 𝓴𝓾𝓶𝓪𝓻 𝓳𝓪𝓷𝓰𝓲𝓻 ✍-
ख़ुद को सुलझाने की कोशीश मे लगी हुई हूँ,
कुछ लोग कहते है मे बदल गई हूँ,
उन लोगो से मेरा एक सवाल,
मुझे जाना तो पुरा था न?-
इस दुख भरे जहाँ मे तु
मुझको अपना मान ले,
तेरे साथ हु मै, तेरी सांस हु मै,
तु खुद में मुझको तलाश ले,
तेरे साथ हू में इस जहाँ में,
तु भी मुझे तेरा साथ दे,
इस दुख भरे जहाँ में,
दुखो मे ही तु खुशीया तलाश ले,
साथ मे इस जहाँ में तु
मुझको भी सम्भाल ले...
इस दुख भरे जहाँ में तु
मुझको भी अपना मान ले।-