तेरी मोहब्बत में मैं अपने माँ-बाप की गुनहगार हो गयी..
तेरे ना मिलने पर मैं एक तारे की तरह आबाद हो गयी..-
दिन के उजाले में लिखा..
रात केे अँधेरे में लिखा..
जब भी लिखा तुझको ही बेशुमार लिखा..
जहाँ भी लिखा तेरा ही इंतज़ार लिखा!!
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मोहब्बत की गलियों में कुछ इस तरह छोड़ा उन्होंने हमको..!
कहा.. मोहब्बत की हसरत तो बहुत है पर करने की इज़ाज़त नहीं उनको..!-
ये कैसे गुनहगार हो तुम, जो तुम्हें ख़ता मालूम नहीं..
ये कैसा मर्ज़ है इश्क़ का,जो सजा तो याद है मगर दफ़ा मालूम नहीं..-
हँस लेती हूँ ,गा लेती हूँ ..
हर पल यादगार बना लेती हूँ ..
ज़िन्दगी कल तू हो न हो ।।-
जिसमे पन्ने हज़ार हैं ।
हर पन्ने पे लिखा मैंने सिर्फ एक नाम है ।
हाँ, ऐसी मेरी मोहब्बत की किताब है
जो सिर्फ तेरे नाम है ।-
प्यार का एहसास बढ़ता जा रहा है
दिन पे दिन गुज़रता जा रहा है
दिल की तो अब बात ही नहीं रही जनाब
वो अब रूह में उतरता जा रहा है..-
तेरे शहर से खुद को दूर ले जाना है..
तेरे क़ाबिल खुद को बनाना है..
और फिर लौटकर तेरी गली आना है..
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तो तू मेरा मुक़द्दर बन जाए..
कौन जाने आज जो दिल्लगी है तुझसे
वो कल मेरी मोहब्बत बन जाए..-