गर याद आऊं तो चेहरे पर मुस्कान बनाए रखना
गर दिल को चुभे कोई बात ,तो आंखों में उम्मीद और
जो तुम तक कभी पहुंचे नहीं ,वो अल्फाज़ याद रखना
मेरी खुशबू को अपने आसमां में आजाद रखना
जो सुखे फूल कभी महके नहीं ,वो संघर्ष याद रखना
मेरी मौहब्बत छोड़ कर
हमारे दरमियान का वो इश्क याद रखना
मैं याद आऊं तो , चेहरे पर मुस्कान बनाए रखना
यक़ीनन बेहद बेशकीमती थे वो लम्हे,
तुम्हारी सांसो के दरमियान वो मेरे साए,
हम दोनों पर उधार रही उस एक शाम की खनक याद रखना ...
गर जो याद आऊं मैं कभी ,
तो मेरी तमाम बेबसी याद रखना ....
मुसलसल सी वो बात थी,
जिसे तुम कभी समझ ही न पाए ...
कुछ मैं ना कह पाई कुछ तुम ना सुना पाए ...
आंखों के दरमियान वाली हमारी वो एक आखरी मुलाकात याद रखना,
गर जो कभी मैं याद आऊं,
मेरी वो तमाम मज़बूरिया याद रखना ...
आज की दुनिया यक़ीनन अलग होगी तुम्हारी,
कुछ ख्वाब और नए रिश्तों की आहट होगी उनमे,
वो जो चन्द ख़त लिखे थे मेरे नाम के
हो सके तो उन लिखावट की ज़िंदादिली को याद रखना ...
गर जो मैं याद आऊं,
तो मेरी वो पहचान याद रखना ....
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