दर लफ्ज़ दर एक अपनी ही "कहानी" छुपी है ,
किसी की ख़ुशी तो खुशी में तकलीफ़ ,
कोई रवानी छिपी है
तू जो कहे वो लोगो को समझ नही आता ..
आता भी हो तो अंधी नजर को ; नज़र नही आता ।।
यूं दिल को खोल ' रख देते है ,
सच कहना ,
"दिल" पर कुछ गुजरी है उनके या दूसरों का दर्द अपना समझ रो देते है ।।
लफ्ज़ों से कुछ कह ना पाते है ,
लिख कर "खुद" को
रोक नहीं
पाते
है !
फितरत में है अदाकारी छिपी ; प्रतिभा की मिसाल है कहने को "मुंतजिर" है लेकिन अपने आप में बवाल ही बवाल है !
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