लिखूँ दो चार शब्द या एक कहानी लिखूँ , ठंडा शरीर गरम रक्त या सिर्फ जवानी लिखूँ । लिखूँ लड़ाई घर की या सरहदों की आँधी लिखूँ , लिखूँ रंग फौजी का या तीन रंगो के कहानी लिखूँ ।
मेरा उसके माथे पे चुमना, उसे अपनी बाहों में भरना उसके साथ हर पल जीना और उसपे ही मर जाना रखना उसे सबसे पहले बाकी सब कुछ भूल जाना, आबाद है ये इश्क फिर क्यूँ इश्क में बरबाद होना
हर बार तू मुझपे अपना हक ऐसे जताया ना कर, मुझे इश्क था तुझसे ये हर बार मुझे बताया ना कर । तू साथ मरने की बात करता है मुझे तो जीना था तेरे साथ, एक दफ़ा तो अपना ये बार-बार जाके मुझे सताया ना कर।
मेरे अंदर के बच्चे को रुलाया ना कर, बचकानीं हरकतों को देख चिड़चिड़ाया न कर । एक तु ही तो है जिसने देखी है नादानिया मेरी, अब तु तो गलतिया मेरी गिनाया ना कर ।
जहां जहां तू रहे अब वहां तो नहीं रहना, तेरे नफ़रत का हिसाब मोहब्बत से नहीं करना । सब प्यार करते हैं मेरा तो तुझसे पागलपन है, अगर तुझे सुनना पसंद है तो मुझे अब कुछ नहीं कहना ।