आज भी क्या ही करेंगे...
रात में पलंग पर लेटकर
तुम्हारे साथ खिंचवाई हुई तस्वीर
को देर तलक देखते हुए तुम्हे याद करेंगे
और उदास हो जाएंगे।
फिर आईने के सामने खड़े होकर
अपने हीं भीतर झांकेंगे,
और खुद को खुद में ना पाएंगे।
आज भी क्या हीं करेंगे...
वही एक पुरानी तस्वीर को
उलट-पलट कर देखेंगे और खो जाएंगे।।-
very less spoken...
Unsocial...
A bit mysterious ...
Kinda arrogant.( अब लोग तो यही क... read more
एक नये दीवाने का दुख, यार पुराने पर आए,
सारा बोझ तेरे आंसू का मेरे शाने* पर आए
Shoulder*
जबतक तू था साथ हमारे, कोई न दाखिल हो पाया,
हम में दरिया, सहरा, जंगल तेरे जाने पर आए,
हमपर आये दुनियादारी के भी लाखों गम लेकिन,
किस गम की ज़ुर्रत है कि तेरे गम के ठिकाने पर आए,
उस टूटे रिश्ते का दुःख अब भी मेरे दिल मे है,
मुझ पर इतना बोझ है जितना लाश उठाने पर आए,
मैं चाहूँ कुछ ऐसी क़ज़ा* हो,जिसको ज़माना याद रखे,
तीर चले तेरी ज़ानिब, और 'अश्क़' निशाने पर आए।।
Death*
-
"perhaps they were right putting love into books.
Perhaps it could not live anywhere else."-
न दिखती है ग़ज़लकारी भी होती
न बाकी काम हमसे हो रहे हैं
इन्हीं रास्तों पे हम तुझसे मिले थे
इन्हीं रास्तों पे तुझको खो रहे हैं-
एक पुरुष का कंधा
केवल देह का बोझ उठा सकता है,
पर एक स्त्री
आत्मा का बोझ उठाती है।
ये दुनिया
एक पुरुष के न होने से
बचे न बचे,
एक स्त्री के न होने से
ख़त्म जरूर हो जाएगी।।-
ये जो गिराए गए घर के दीवार मेरे,
इसमे शामिल थे सब वफादार मेरे।
जंग में खाली गए सभी वार मेरे,
उसके आशिक़ जो निकले तीरो-तलवार मेरे।
जबीं से उतार दे दो कर्ज़दार मेरे,
एक तो इश्क़, और ये सिगरेट के उधार मेरे।
खुदा-हाफ़िज़ कह गए सब तरफदार मेरे,
मतलबी दोस्त, मतलबी यार मेरे।।-
Do you even know how beautiful you look when you hold
all your scars together...-