nikhil singh   (nikhil)
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वीर भोग्या वसुंधरा
Swayamsevak of RSS🚩
||Bihar||Gaya||Patna||❤
Joined 11 January 2018


वीर भोग्या वसुंधरा
Swayamsevak of RSS🚩
||Bihar||Gaya||Patna||❤
Joined 11 January 2018
15 JUN 2022 AT 21:50

कुछ ख़्वाब अपने आँखों के मैं
तुम्हारी आँखों मे भी बिछा दूँ क्या,
अपने इन ख़ामोश होंठो की सिलवटों पर
मैं तुम्हारी मुस्कुराहट सजा लूँ क्या?

अपने दिल के खाली कमरे में मैं
एक उम्मीद का दिया जला लूँ क्या,
चाँद बड़ा अकड़ रहा हैं अपनी रॉशनी पर
उसे मैं तुम्हारी सादगी दिखा दूँ क्या?

जो अबतक ना कहा मेरे लफ्ज़ों ने कभी
वो सारे जज़्बात मैं लिखकर जता दूँ क्या,
चाँद, तारे और सूरज सब हैं उसके हिस्से में
ये बोलकर रोज वो मुझें चिढ़ाता हैं
पर अब तुम आ गयी हो मेरे आँगन में
ये बात मैं आसमाँ को बता दूँ क्या?

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17 APR 2022 AT 21:14

जब तुम्हें प्रेम हो, फूल मत तोड़ना
बल्कि तुम लगा देना एक पौधा,
हो सके तो उसी फूल का।

जब तुम्हें प्रेम हो,
बंधन में मत रखना किसी को
बल्कि उसे स्वतंत्र कर देना
ताकि वह समझ सके प्रेम मुक्ति देता है।

जब तुम्हें प्रेम हो, गलत को गलत बतलाना
तर्क के साथ, और सुधारने का मौका देना
क्योंकि प्रेम अंधा नहीं होता,
प्रेम आँखें प्रदान करता है।

जब तुम्हें प्रेम हो, उसे पाने के लिए
दुश्मन मत बनाना किसी को
बल्कि साबित करना... जिसके केंद्र पर प्रेम है
उसकी परिधि पर भी प्रेम ही स्थित है।

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28 MAR 2022 AT 22:11

आछा नही लगता
बार बार किसी को अपनी
याद दिलाना
अगर अहमियत होगी तो
लोग खुद ही याद कर लेंगे

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26 MAR 2022 AT 7:38

ये इश्क़ मोहब्बत की रिवायते भी अजिब हैं...
पाया नहीं है जिसको ... उसे खोने का डर है .....

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23 MAR 2022 AT 20:09

आज जो भी लिखा हैं तेरे प्यार पर लिखा हैं,
जो कह न सके लफ्ज़ कभी,
खामोशियों ने आज हर वो बात लिखा हैं ।

आ कर पढ़ अपनी नज़रों से,
मेरी नज़रों में आज इंतज़ार लिखा हैं ।
हैं तुझे यकीन की भूल बैठे तुझको
तो आकर देख हर एक पन्ने पर
तुझे बार-बार लिखा हैं ।

अगर समझ सके तो समझ,
जहाँ भी लिखा है बस एक बात लिखा हैं।

"एक मुद्दत हुई लड़े तुमसे
एक अरसे से इश्क़ फीका हैं"।

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22 MAR 2022 AT 19:53

हाँ मैं बिहार हूँ ।।

मैं ही नालंदा, विक्रमशीला बन
पूरे विश्व को सींचा हूं,
अब भी हर राज्य के कोने में
मैं थोड़ा थोड़ा जीता हूँ
मैं बुद्ध बना इतिहास में
सबको शांति का पाठ पढ़ाया था,
मैं ही तो बहती गंगा हूँ
मैं ही दिनकर की कविता हूँ।।

भोजपुरी बस नहीं हूँ मैं मैथिली,
मगही,अंगिका भी हूँ
बस लिट्टी चोखा में न सिमटा
अनरसा, दही-चुड़ा, और तिलकूट भी हूँ
अयपन, झूमर, चैती के संग
झिझिया, झरनी सी कला भी हूँ
मैं मस्तक पर हिमालय रखकर भी
आदर करने मे प्रसूत भी हूँ
हाँ मैं बिहार हूँ ।।

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22 MAR 2022 AT 10:06

यूं तो लाख फ़रेब है इस दुनिया में,
पर प्यार उन में सबसे हसीन है।

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21 MAR 2022 AT 21:40

आसमाँ से टूटे सारे सितारें मेरे पास बैठे हैं
मैं अपने ख़ामोश रातों की कहानी लिख रहा हूँ,
आँसू गिरे तो सारे पन्ने आईने हो गए
कुछ याद तुम्हारी पुरानी लिख रहा हूँ।

इन यादों के पन्नों को पलट कर पढ़ना तुम भी
तुमसे जुड़ी आज हर निशानी लिख रहा हूँ,
जो उम्र भर साथ निभाने के लिए किए थे तुमने
तुम्हारें उन्हीं झुठे वादों की कुर्बानी लिख रहा हूँ।

इन आँसुओ से धूल गए सारे वहम मेरे
तुम्हारें दिए सारे सबकों की मेहरबानी लिख रहा हूँ,
अपने सारे सितारों के साथ चमकता रहूँगा हमेशा
मैं अपने टूटे सितारों से ही खूबसूरत जिंदगानी लिख रहा हूँ।

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1 MAR 2022 AT 13:57

खुल के बिखर जाए जब ये काली जुल्फें तुम्हारी
मदहोश होकर ये काली घटायें बरस जाती हैं,
जो देख ले ये हसीन मुस्कुराहटें तुम्हारी
तुम्हें छूने को ये आसमाँ भी तरस जाती हैं।
❤️

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27 FEB 2022 AT 20:53

बात अगर तेरी खूबसूरती की करे तो
मैं तुम पर एक पूरी किताब लिख दूँ,
जिक्र जहाँ भी वफ़ा का होगा
मैं तेरा किरदार लिख दूँ।

ख़ुदा करे तेरे हिस्से मैं
तेरे हर एक ख़्वाब लिख दूँ,
तू जब पलकें उठायें अपनी
मैं तुम्हें आफताब लिख दूँ।

आसमाँ के ये सारे सितारें
आज मैं तेरे नाम लिख दूँ,
कोई पूछे मुझसे सादगी तेरी
तो मैं तुम्हें चाँद लिख दूँ।

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