तू हो ना हो संग फर्क उसका छोड़,
बस वो इंसान बन रहना चाहता हु, जो सिर्फ तेरे सामने रहता हूं.
ना कोई दर, ना कोई नकाब,
जिसे प्यार दुनिया से , फिक्र तेरी, और सजदा ऊपरवाले का होता है,
तुम्ही बताओ ऐसा खुशनसीब क्या हर कोई होता है?
Haa पता मुझे , लापरवाह हूं मै, फिर भी परवाह तेरी करता हूं,
दुनिया से फर्क नहीं पड़ता मुझे, पर सिर्फ तेरे दुखी होने से मै डरता हूं,
अब प्यार अगर इससे सच्चा हो तो बताना ,
मूर्ति समझ सिर्फ माथा टेक बिन कुछ मांगे , बोले लौट आया करता था, अब हर सजदे में सिर्फ खुशी तेरी मांगता हूं!
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