Nikhil Singh Ghavre   (Nikksinghnikhil)
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Joined 2 May 2018


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15 HOURS AGO

दिन पर दिन, और गहरा रहीं हैं।
ये दूरियां प्यार और बढ़ा रहीं हैं।।
%निक्क% 28/04/2024©

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27 APR AT 10:37

जाने कैसी रहगुजर पर चल रहा है।
वो कपड़े की तरह मर्द बदल रहा है।।
%निक्क% 27/04/2024©

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26 APR AT 20:06

फ़ानी ज़िन्दगी में! सब कुछ दिन के मेहमान है।
कुछ सच में परेशान हैं, कुछ सच से परेशान है।।

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26 APR AT 10:35

उस रूठे हुए के ना मान ने पर,
"निक्क" ज़िन्दगी कुछ ऊब जाती है।
हर रोज़ इस डूबते हुए सूरज के साथ,
तेरे लौट आने की उम्मीद डूब जाती है।।
%निक्क% 26/04/2024©

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25 APR AT 16:20

गर्मी के तपते सहरा में,
उसका छूना ठंडी बर्फ सा।

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25 APR AT 9:03

कभी दिल शाद कर भी तो सकता है,
वो मुझको याद कर भी तो सकता है।

उसको पता है मेरे खाली वक़्त का,
चोरी चुके बात कर भी तो सकता है।

वो बहुत समझदार है उसे बताओ तो,
वो मैसेज डिलीट कर भी तो सकता है।

देखा है उसकी निग़ाहें भी मुझे ढूँढती हैं,
वो दायरे से बाहर निकल भी तो सकता है।

अपनी पर आ जाए तो हर बात मनवाले,
"निक्क" वो कुछ न कुछ कर भी तो सकता है।
%निक्क% 25/04/2024©

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24 APR AT 22:33

इश्क़ की गलियां भी अजब होती है।
वो एक शख़्स ! अपनी कब होती है।।

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24 APR AT 7:30

कुछ ना कह कर भी कह जाना उसका,
वो मुस्कुरा कर देखते हुए जाना उसका।
मुझे पढ़ना उसका देख अच्छा लगता है,
बिन कहे भी, सब समझ जाना उसका।।
%निक्क% 24/04/2024©

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23 APR AT 9:09

कभी अपने इरादे तो कभी अपना लहज़ा बदल लेता है,
वो अपनी पर आ जाए तो जाने क्या क्या बदल लेता है।
मैं जिस रास्ते पर उसका घंटो इन्तिज़ार करता हूँ अक्सर,
वो मुझे देखले तो "निक्क" वो अपना रास्ता बदल लेता है।।
%निक्क% 23/04/2024©

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22 APR AT 9:04

जद वी सजणा तू नज़री आजाउँदा ऐ।
उस दिन साड़ा......दिन बन जाउँदा ऐ।।
%निक्क% 22/04/2024©

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