Nikhil Singh Ghavre   (Nikksinghnikhil)
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Joined 2 May 2018


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Joined 2 May 2018

ये दामन-ओ-लिबाज़ शाफ्फ़क़ रहे तो ही अच्छा है,
दुनिया जीना मुहाल कर देगी इनके दाग़दार होने के बाद।।
%निक्क% 17/07/2025©

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12 HOURS AGO

ये शरीर तो उसकी छुअन से ही महका है,
वियोग के बाद भला कब कोई चहका है।
प्रेमिका के गले से लगकर रोया है पुरुष,
पत्नी से तो बस उसे अश्रु छुपाते देखा है।।
%निक्क% 16/07/2025©

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YESTERDAY AT 8:49

'निक्क' जिसके आगे मेरे लिए कोई कुछ नहीं था,
और मैं उसके लिए दोस्त से ज्यादा कुछ नहीं था।
इतने भी मासूम नहीं वो जो समझे ना हो हाले दिल,
क्या वाकई उसके दिल में ऐसा वैसा कुछ नहीं था?
%निक्क% 16/07/2025©

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15 JUL AT 10:18

ਮੈਂਨੂੰ ਪਾਉਣ ਲਈ ਤੂੰ ਹਰ ਵੈਲੇ ਦੁਆਵਾਂ ਕੀਤਾ ਸੀ,
'ਨਿੱਕ' ਮੈਂਨੂੰ ਤਕਲੀਫਾਂ ਚ ਵੇਖ ਕੇ ਤੂੰ ਰੋਂ ਦੇਂਤਾ ਸੀ।
ਸਾਥੋਂ ਗ਼ੈਰ ਨਾਲ ਸਲੂਕ ਨਾ ਕਰ! ਓ ਮੇਰੇ ਸੱਜਣਾ,
ਅਸੀਂ ਵਹਿ ਹਾਂ ਜਿਸਨੂੰ ਕਦੀ ਤੂੰ ਜਾਣ ਕੀਤਾ ਸੀ।।
%ਨਿੱਕ% ੧੫/੦੭/੨੦੨੫©

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14 JUL AT 12:20

ख़ुश्क हो जाओगे तुम, ना पहले जैसे शादाब-ओ-आबाद रहोगे।
मेरी ख़्वाहिशात का क़त्ल करके, 'निक्क' तुम हमेशा बर्बाद रहोगे।।
%निक्क% 14/07/2025©

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13 JUL AT 8:49

चाह कर भी! फिर किसी और कि, सोहबत नहीं हुई,
ओ दिल तोड़ जाने वाले, मुझे तुझसे नफ़रत नहीं हुई।।
%निक्क% 13/07/2025©

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12 JUL AT 19:36

शादीशुदा, ऊँच-नीच, जात-पात, कमी-पेशी ना भाए।
ये रोग-ए-इश्क़ ऐसा ना जाने कब किसको लग जाए।।
%निक्क% 12/07/2025©

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11 JUL AT 12:46

कोई हौसले के, दो शब्द भी नहीं कहेगा।
'निक्क' ये मेरा दर्द है और मेरा ही रहेगा।।
%निक्क% 11/07/2025©

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10 JUL AT 11:07

बाद उसके ख़त्म हो गए शौक़-ए-आराइशें।
एक ही चेहरे पर ख़त्म हो गईं सारी ख़्वाहिशें।।
%निक्क% 10/07/2025©

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10 JUL AT 10:57

कोई पीड़ है जो अंदर ही अंदर दुखती है।
अब तो बारिश की बूंदे भी मुझे चुभती हैं।।

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