Nikhil Shrivastav   (Lines_of_nikhil)
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Joined 8 May 2019


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5 FEB 2022 AT 11:32

सारी रात चलता गया
एक सुनहरे सुबह की खोज में ,
सुबह हुई तोह पता चला
था रात पे एक बोझ मैं ।
जो मन न भरा सुबह की सुनहरी धूप से ,
तोह निकल पड़ा फिर शाम की सोच में ।
दर बदर भटकता फिर रहा हूँ जिन्दगी की राह पे
मंज़िल की सोच में , सुकून की खोज में ।।

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31 JAN 2022 AT 2:06

कभी इश्क के बाजार में तुमसे सामना हुआ तोह यह जरूर पूछेंगे ,
जो तुम अपने अंदाज़-ए-हुस्न को सुबहोशाम आइने में निहारती रहती हों ,
जान–बुझ कर घर की बालकनी में आ कर बैठी रहती हो ,
अपने खुले और बिखरे बालों को नाजुक हाथों से सवारती रहती हो ,
अपनी एक दीदार के लिए दीवानों को न जाने कितना तरसाती हो ,
बस बात इतनी सी है कि !
एक हां न कहकर अपने इस आशिक का तुम दिल बड़ा दुखाती हो ,
खुद तोह चैन की नींद सो जाती हो और हमे सारी रात रूलाती हो ।।

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27 JAN 2022 AT 23:16

सोचता हूं किसी शाम उसके शहर रूक के देखूं
लोगों से कही गई बातों को मान कर देखूं ।
खयालों में ही सही
एक बार उसे अपना बना कर के देखूं ।।

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26 JAN 2022 AT 7:57

मिल गया जो प्यार तुम्हारा
हम मान कर रहे है ।
जिन्हे ना मिल सका प्यार तुम्हारा
वो कबख्त आज भी तुम्हे
बदनाम कर रहे है ।।

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17 JAN 2022 AT 11:56

लम्हों को जीने की चाह में
ना जाने कितने लम्हे गुज़र गए ।
आज ज़िंदगी को गौर से देखना चाहा तोह
सारे लम्हे ठहर गए ।।

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26 DEC 2021 AT 22:22

मिल गया जो प्यार तुम्हारा हम मान कर रहे है ।
जिन्हे ना मिल सका., वो कमबख्त ,
आज भी प्यार को बदनाम कर रहे है ।।

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24 DEC 2021 AT 17:13

दूसरो को सलाह देने वाले
आज खुद अपने ही गमों के
सलाखों में कैद है ।।

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2 JUN 2020 AT 3:30

हर किसी का कुछ ना कुछ सपना होता है
किसी का गाड़ी तोह किसी का घर
और ना जाने क्या क्या होता है ।।

लेकिन सपने साकार तोह सिर्फ उनके होते है
जिनके सपनों की वजह भी कोई अपना होता है ।।

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14 MAY 2020 AT 4:24

खैर कुछ खामियां तोह दोनों में ही थी
कुछ उनमें भी थी तोह कुछ हम में भी थी ।

फर्क बस इतना था कि.,
उनकी गलतियों को हम नादानियां समझते रहे ...
और वो हमारे गलतियों को मनमानियां समझ बैठी थी ।।

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1 MAY 2020 AT 18:12

बहुत कुछ सिखाया इस ज़िन्दगी के सफ़र ने अनजाने में ,
लोग तोह कई मिले पर साथ निभाया महज अफसाने में ।
हमने पनाह मांगी भी तोह ऐसे शख़्स से ,
जिन्हें खुद ना मिला पनाह ज़माने में ।।

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