इतने रिश्तों में एक खूबसूरत रिश्ता, दादा और पोता है ..
उसका पहला दोस्त, शायद उसका आख़िरी होता है ॥
~निखिल
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हम अपनी बेगम को बेइंतहा इसलिए भी चाहते हैं...
क्यूँकि हम उन्हें ,ता उम्र “बे-ग़म” चाहते हैं !
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भीड़ में भी तुम्हीं ख़ास थी, सूनेपन में भी तेरा ख़याल है...
लोगों के लिए थमी है दुनिया , मेरी तो दुनिया मेरे पास है ।
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पोछा लगाने से पहले , खिड़कियों पर पर्दा पते की बात है ..
आज सामने वाले अंकल बोले शर्माओ मत, हम भी तुम्हारे साथ हैं 🤣🤣-
आलीशान बंगला तो नहीं मेरा घर, फिर भी बोहत बढ़ा है ...
आज पोछा उठाया , तो ये ख़याल आया 😂😂-
एक कामयाब ज़िंदगी के , बस कुछ मुक़ाम बाक़ी हैं...
माँ , बहन और तमाम मोहतरमाओ के बोहत से एहसान बाक़ी हैं।-
मेरे सबसे पुराने ख़्याल की खूबसूरत तस्वीर हो तुम..
और उस ख़याल का मलिक मैं बोहत खुशनसीब हूँ..
यूँ तो होने को तेरा हमसफ़र भी होता,मैं लेकिन..
मैं सिर्फ़ तेरा आशिक़ ही बोहत खुशनसीब हूँ..
मैं सिर्फ़ तेरा आशिक़ ही बोहत खुशनसीब हूँ।
#निख़िल-
सुबह से शाम तक,
इक बात लिखने की कोशिश की ..
और अब लिखी इस बात में
वो बात ना रही ।-
मेरा मकान अब घर लगता है ...
माँ बाबा के आने का असर लगता है ,
और क्या बताए घर का माहौल कैसा है...
महफ़िलो से ज़्यादा आँगन में मन लगता है।
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