बड़ा अजीब शोख है लिखना भी,
लोग हुनर को आशिकी का नाम दे देते है
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मुसाफिर की क्या रह क्या ठिकाना।
From Devbhumi Uttarakhand, 🩷🔱
जिंदगी का सफर कुछ ऐसा करना है..
जहा खर्चा कम और चर्चा ज्यादा हो-
तुम जमाने के हो हमारे सिवाए..
और हम किसे की नही सिर्फ तुम्हारे है।-
माना चालबाज तो थी तू तूने इश्क में शराब जो मिलाई..
आज तेरी ही मोहब्बत मुझे मेरी मंजिल से बहका रही है।..
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लुडू की तरह हो गई ज़िन्दगी..
छह जगह अब अगर एक भी..
आ जाए तो चलना पड़ता है।-
कुछ पल की खुशी देकर
ज़िन्दगी रुलाती क्यों है जो
लकीरों में नहीं होते किस्मत
उनसे मिलती क्यों है।-