मैने तेरे बाद भी इश्क़ किया कई बार,
मैंने जाना ये काम अब मेरे बस का नहीं ।।-
जो थोड़ा बहुत बच गया हूं मैं, अब वो खो नहीं सकता,
मुझ संग दिल लगाने की कोसिश फ़िज़ूल है
बुझा हुआ तारा हूँ मैं, फिर से रौशन हो नहीं सकता ।
ये क़समें बाँधती है, और मैं आज़ाद परिंदा हूँ
एक घोंसले में सारी उम्र सो नहीं सकता ।
मुझे कोसते रहो मेरी आदतों के वास्ते
तुम्हारे कोसनें से मेरा कुछ नहीं बिगड़ता ।
एक चाँद के जाने से अमावस है ज़िंदगी
अब चंद तारो से तो पूर्णमासी हो नहीं सकता ।
जिसके दिल में घर करते करते मैं बिखर गया
मेरा मानना था की वो पथर दिल हो नहीं सकता ।-
कस पर कस सिगरेट का उठता धुआं
मैं उस धुएं में तेरी तस्वीर बनाता रहता हूं-
कोई ऐसी चाहिए जो मेरी रग–रग से वाकिफ हो,
जो मेरी सारी गैर–जिमेदाराना आदतों वाली नशों को एक एक करके दबा दे और वो सारी नशें जो मुझे जिम्मेदार बनाती हों उन्हें खोल दे |-
ये ठंडी हवाएं जो चेहरे को छू कर गुजरती हैं,
जैसे तेरी यादें ख्यालों से हो कर गुजरती हैं||-
गर मुझसे है कोई मिलता
मुझसे नहीं वो मिलता,
मैं खो चुका हूं तुझ में
जैसे ग्रहण चांद को निगलता ||-
जुदा है हीर से रांझा न जाने कई जमानों से
क्यूं न बदल कर ये कहानी फिर नई लिखी जाए ।।-
पहले पहले प्यार में लोग न जाने क्या क्या करेंगे
हम जो मिले तुमसे बैठ कर दो बातें करेंगे
कुछ अपनी कहेंगे कुछ तुम्हारी सुनेंगे
हम यूंही चांद को सूरज करेंगे
बत्तियां बुझा के हम चांदनी से आंगन भरेंगे
हम खामोशी को सुनेंगे हवाओं से बातें करेंगे
हम बादलों पर घर बना कर ताजमल पर हसेंगे
हम पहाड़ों की गोद में बैठेंगे तो ये इमारतें सजदे करेंगे
जिएंगे लम्हों को न आगे की सोच कर आहें भरेंगे
हम तुम्हे देखेगे और देखते ही रहेंगे
हम प्यार में औरों सा कुछ भी नहीं करेगे !-
ये ताज और तख्त मेरे किसी काम के नहीं,
गर तेरे हुस्न और नाज़ मेरे नाम के नहीं ।-
तन्हा हो तुम
हम भी नकारे हुए हैं
दिल के मारे हो तुम
हम भी क़िस्मत से हारे हुए हैं
देखा जो टूटा तारा तो ख्याल आया
हम दोनों ही अपनो से टूटे हुए हैं
हम हसीं चेहरे से बच बच के हैं निकलते
तुम भी तो कसमें उठाए हुए हो
हिम्मत नहीं अब कर लें मोहब्बत,
न ये हमें रास आई ,न इसे रास आए हम
जो कभी अपनी दुआ काम लाए
मैं तुमको मांगू ,मुझको मांग लो तुम ।।-