उजड़ा फिर ना बस सका.. वो शहर हो रहा हूं... मत पूछो कि कब.. आठों पहर हो रहा है... तुझसे बिछड़ के गम है और तन्हाइयों का आलम है... ज़हर पीते पीते मैं खुद ज़हर हो रहा हूं..!!
तेरी एक नजर का मसला था.. जो हमपे कभी पड़ती ना थी... मेरे इश्क की ये गुस्ताखी थी.. इसमें तेरी कोई गलती ना थी... हुए दिवाने तेरी अदाओं के.. इस कदर तूने घायल किया... मेरी सांसे रुकने आ गई... और तेरी आंख तक फड़की ना थी..!!
कभी कोई गलती नहीं करता.. मैं खुद को रोक लेता हूं... तेरे घर का रास्ता देखूं.. तो खुद को मोड़ लेता हूं... हजारों गम है जिंदगी में.. पर उन पर रोना नहीं आता... कभी रोने का मन हो.. तो तुमको सोच लेता हूं..!!
टूटे हैं अरमान.. सिमटने में ज़रा वक्त लगेगा... बिखरे हैं जज्बात.. संवरने में ज़रा वक्त लगेगा... तुझे जाना है तो जा.. हमेशा के लिए.. भूल जाऊंगा तुझे.. पर भूलने में ज़रा वक्त लगेगा..!!