घर फोडणारे हे आपलेच असतात..
नाहीतर
बाहेरच्यांना काय माहीत कोणती भिंत नाजूक आहे..-
म्हणजे माझी कविता...
8421080813
एक अजीब सी बेचैनी है तेरे बिन,
रह भी लेते है, और रहा भी नहीं जाता..!😘-
किसीने यह कहा था मुझे
अब तुम्हारी जरुरत नहीं!
पर....
दावे के साथ कहता हूं ....
बहूत जरुरी नहीं हूं मैं मगर
मेरे बैगर कुछ कमीं जरुर रहेगी.... !
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कौन पुछता है पिंजरे में बंद
परींदो को....
याद तो वही राहतें है
जो उड जाते है.......-
कुछ लोग होते है ना
जितने से पहले ही हार जाते है......
और कुछ लोग ऐसे होते है की,
हारने के बाद भी जितने की कोशिश करते....-
काबिलियत दोनों होनी चाहिए
वक्त के साथ बदलने की,
और वक्त को बदलने की.....-
मै इतना काबिल नाही की कोई मुझे अपना समझे
पर यकीन है मुझे की, कोई अफसोस करेगा मुझे खो देने के बाद.............-
वो जमानें से मजाक उडाते थे
रहनसहन और गरिबी का...
खुद़ इञ लगाएं जिंदगीभर
अफसोस.....
आज राख से खुशबू नहीं आयी.-
दोस्तीच्या दुनियेतला राजा माणूस... आमचे मोठे भाऊ आडे साहेब यांना वाढदिवसाच्या हार्दिक शुभेच्छा......
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