कहीं गुम हो से गए थे कुछ को भुल से गए थे कुछ दूरियां सा था कुछ मजबूरियों सा था हां हम खो से गए थे कुछ भूल से गए थे आज याद आया है वह याद आया है वह हमें ए जिंदगी फिर लौट आए हैं हा कहीं गुम हो से गए थे!!!!
मंजिल को खुद से दूर देख थक के हम यू बैठ गए हैं; थक के हम यू ही रुक गए हैं; पर ये नहीं कि हम हमेशा के लिए रुक गए; चाहे जितना भी वक्त लगे; मंजिल मिले बिना रुकेंगे नहीं!!!
खुद को भुल हम यू आगे बढ़ चले थे; खुद को भुल हम यू आगे बढ़ चले थे; जब खुद को पिछे मुर कर देखा तो ; कही हम खुद को खोह चले थे; जब खुद से मिला तो ये जाना; पहले खुद से तो मिल बाकि तो यूं ही; मिल जाना है!!!!
कल तक हम इतिहास को काल्पनिक रुप से देखा और पढा करते थें; आज हम खुद इतिहास को बनता देखेगे; राम लला का दरबार अयोध्या में बनता देखेगे; 500 वार्ष का वनवास ख़त्म होता देखेगे; आज हम इतिहास खुद बनता देखेगे; हम अब नया हिन्दुस्तान देखेंगे!!!
दिल की भाराश न निकाल देना; जो वर्षों से दबे थे सीने में; उन अल्फजो को बाहार निकाल देना; अपने आरज़ू यू ही बह जाने देना; दूसरे को भुल खुद को आगे बढ़ जाने देना; हां तुम खुद को पहले ही बता देना!!!!