आदत जिस तरह
लोगो को होती है
नशे की
जुए की
उसी तरह मुझे
हो गयी थी
तुम्हारी आदत
तुम्हारी बातों को सुनने की आदत
तुम्हें देखते रहने की आदत
तुम्हारी डांट सुनने की आदत
पर अब सिर्फ एक ही आदत रह गयी है
वो है तुम्हारे इंतज़ार करने की।।-
अक्सर मैं खुद से पूछता हूं
दुख की अंतिम सीमा क्या होगी
क्या किसी ने सहा होगा उतना दुख
अपने जीवन काल में,
अखबार मुझे रोज एक नए दुख से
परिचय करवाती है
लगता है मैने सारे तरह के
दुखों के बारे में जान लिया
या अब भी कुछ बाकी है,
अब मैं शांत सा हो गया हूं
बस बहता जा रहा इस वक्त
के अनंत जाल में,
इसी जाल से कभी आजाद
हो गए होंगे
वो तमाम मनुष्य जो
प्रताड़ित किए गए होंगे कभी इतिहास में,
कर दी गई होगी दफन
जिसकी दास्तान भी दबें पांव
जिन्होंने देखा होगा शायद
दुख की अंतिम सीमा को।।-
किसी दिन पूरी हो जायेगी वो कहानी
जो अक्सर आती है मेरे सपने में
पर सुबह की पहली किरण
मिटा जाती उसे मेरे स्मृति से
शायद सुबह होती ही इसलिए है
ये चक्र चलता रहता,
इस तरह कुछ पंक्तियां जुड़ती रही
कुछ उड़ती रही,
उसी तरह जैसे एक चिड़िया
बनाती अपना घोंसला तिनकों से
और नष्ट कर देता उस घोंसले को
एक हवा का झोंका
पर अंत में चिड़िया बना ही लेती
घोंसला अपने बच्चों के लिए,
क्या मैं भी कर पाऊंगा वो कहानी पूरी
जिसका भविष्य मुझे पता नही,
पर मुझे ही पता है एक अलग आयाम में
क्या खोज पाऊंगा बाकी की कहानी
मैं उस अनूठे आयाम से
या मैं भी शामिल हो जाऊंगा
उस भेड़ों के झुंड में ।।-
ये जानते हुए कि
गौतम बुद्ध ने कहा था
'इच्छा ही पीड़ा का प्रमुख कारण है'
फिर भी मैंने इच्छा की
तुम्हे चाहने की
लेकिन मेरी इच्छा पीड़ा
में तब्दील नही हो पाई
क्योंकि रख दिया था मैंने इसे
सहेज कर किसी कोने में
ठीक वैसे ही जैसे
रखती है दादी माँ
अपने पैसे किसी अंधेरी जगह में
कभी कभी मैं देखने
आता हूँ अपने इच्छा को
की कहीं वो चली तो नही गयी
लेकिन वो नही जाती कहीं
ढीट सी एक जगह पर
बैठी हुई है चुपचाप
शायद नाराज है मुझसे
क्योंकि मैंने उसे
नही निकाला बाहर
पता नही पर क्यों
कभी कभी लगता है
बुद्ध सही थे
मेरी वो इच्छा अब
मुझे पीड़ा पहुंच रही है।।-
अपनी सोच को जब
व्यक्त करते हो तुम
तब वो उड़ती है हवा में
और टकराती है
सभी पुरानी सोचों के साथ
जो दुनिया मे पहले ही
व्यक्त की जा चुकी है
शुरू होती है तब
सोचों की लड़ाई
जिसका निर्णय अक्सर
नही निकल पाता
लेकिन हो जाता है
उस सोच को अपने
होने का अस्तित्व
जो रह जाती है
अनन्त काल तक
फिर समय के कुछ पलों में
ज़िंदा हो जाती है
वो सोच
उसी लड़ाई को लड़ने के लिए
वही सोचों की लड़ाई।।-
Fear the kindness of devil
It's the trap of the evil
to enclasp your mind
to paralyse your thought
Fear the kindness of devil
masquerading itself as crying sheep
but opposite in nature
intimidating your intrepidity
Fear the kindness of devil
compelling you to buy their agenda
thwarting your inner will
throwing you into the lap of fatalism
Fear the kindness of devil
making you dance on their finger tip
to snatch your comfort
disdaining your sweat
Fear the kindness of devil
showing you the mirage of future
to keep you inside shell
to make you the slave of their brain.
Fear the kindness of devil
seducing your delusional mind
to exterminate your faith
to bury your history.
Fear the kindness of devil
luring you with prosperity
to stab you at the back
leaving you alone into the hell.-
मैं झूठ हूँ
अक्सर लोग मुझसे नफ़रत करते हैं
पर कुछ लोग मुझे हथियार की तरह प्रयोग करते
तो कुछ मजबूरी के कारण
मैंने ही बहुत सारे युद्ध करवाये, झगड़े करवाये
दंगे फसाद करवाये
मनुष्य को मनुष्य से लड़ने पर मजबूर किया
मैंने कई लोगों की जिंदगियां खराब भी की
तो कई लोगो को बचाया भी
मैं सच्चाई के विपरीत हूँ
लोग सच को पसंद तो करते
पर प्रयोग ज्यादा मेरा करते
अक्सर अफवाह फैलाने में
मैं दुनिया के हरेक कार्यस्थल पर मौजूद हूँ
हाँ न्यायालय में मेरा घुसना निषेध है
फिर भी मैं वहाँ मौजूद हूँ
मुझसे ही भ्रष्टाचार की शुरुवात हुई
मैंने ही गरीबों की रोटी को छीना
मैंने ही नेताओ का उद्धार किया
मैंने ही दो जोड़ों के रिश्ते तुड़वाए
मुझसे ही दुनिया चलती है
मैं ही असुर हूँ
मैं अधर्म
अज्ञानी भी मैं
मैं ही न्याय का दुश्मन
मैं झूठ हूँ।।-