Nikhil Khandare   (nik_heal_write)
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जी पता है, पर रहा भी तो नहीं जाता।
Joined 10 January 2018


जी पता है, पर रहा भी तो नहीं जाता।
Joined 10 January 2018
23 FEB 2022 AT 13:02

तेरे बदन की ख़ुशबू मेरे जहन से नहीं उतरती है,
या मेरा तन भी तुम्हारी तरह महकने लगा है।

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22 FEB 2022 AT 13:17

सुई मजबूरन चुभती है ज़ख्म सिलते वक्त,
मगर कांटों का राहों में क्या काम होगा।
भूलना भी चाहते है याद आए तो हंस भी देते है
ऐसे पेचीदा रिश्ते का क्या नाम होगा।

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22 FEB 2022 AT 13:08

मसला ये नहीं के मंज़िल दूर है अभी बहुत,
परेशानी है के दिल रास्ता भटक रहा है।

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22 FEB 2022 AT 12:59

रहा असर दवा का वैद्य की रिहाई तक,
कमरा खाली हुआ और वो फिर दिल में भर गया।

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11 FEB 2022 AT 23:04

ये कैसी है तेरी कायनात ऐ ख़ुदा,
किसी किसी का हिसाब मरने के बाद भी ना हुआ,
और किसी किसी को तूने पूरा जीने भी ना दिया।

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9 FEB 2022 AT 1:49

हर तरफ हो रहा है प्यार का इज़हार और इनकार,
ना जाने कैसे कर लेते है लोग इस हफ्ते का इंतज़ार।

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6 FEB 2022 AT 20:37

वादे तोड़ने के लिए ही बनाए जाते है,
निभाने के लिए ख़ामोशियाॅं काफ़ी है।

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16 OCT 2021 AT 22:34

In era of "speech to text",
Typewriter has separate fanbase.

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31 DEC 2021 AT 14:35

ऐ गुजरते साल, तू यूं मायूस ना हो थोड़ा सब्र कर,
तू अच्छा था हम ये जानेंगे नया साल आज़मा कर।

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22 DEC 2021 AT 18:15

तेरा मुझसे दूर जाने की,
किसी अनजान के कंधे सर रखने की,
मेरे प्यार को वस्ल कहकर किसी और
के कमरे की रौनक बनने की।
मुझे नहीं पता कैसे जीते है तेरे बिना,
बस हो कोई गुंजाईश तो चले आना,
कंधा भी यही है और वो कमरा हमने
तुम्हारे जाते ही तोड़ दिया है।

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