यूँ तो शराब से मेरी कभी बनी नहीं...
पर कभी कभी सोचता हूं कि काश मैं भी थोड़ा नशा कर लेता..
क्युकी ये जो ग़म है ना वो मुझसे होश-ओ-हवास में सम्भाले नहीं सम्हलते!-
ฟ i̷ s̴ ꫝ @ 2️⃣4️⃣/0⃣7️⃣ 🎂 🍻
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इशारों ही इशारों में उनकी आँखे कुछ कह गयीं
जब हमने पलट कर उन्हें देखा तो कमाल हो गया।
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साल गुज़र गए दुश्मनों का हाल लिए...
सोचता हूँ थोड़ी बहस कि जाए.. इसी बहाने पता तो चले
की चाल अब भी वही है या थोड़ी सुधार है।-
सासें थम सी जातीं हों तो माफ़ करना...
मैं अक्सर बातें दिल थाम के करता हुँ।।-
आज सुबह की पहली किरण के साथ
कोई मुझे सुरमई अँखियों से चुपके चुपके देख रहा था।
ना जाने क्या कशिश थी उन आँखों में की मैं भी उनसे नज़रे ना हटा पा रहा था।
कभी वो मुझे कभी मैं उन्हें एक टक देखे जा रहे थे।
ये जो आँखों आँखों में गुफ़्तगू हुईं वो लफ़्ज़ों में बया ना हो पा रहा था।-
...
कोई और था।
तुम होते तो ऐसे छोड़ के ना जातें..
आओगे तुम इस दिल को ख़बर थी
पर वो तुम ना थे।
वो शायद...
कोई और था।-
साथ निभाता मैं हमेशा
तुम हाथ तो ना छोड़ते।
फर्क़ ये है कि तुम ने भी हमें
औरों के तरह बेगाना समझ लिया...
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मैंने तो फिर भी हमारा रिश्ता निभाया था
हमारे दरमियाँ ये दूरियाँ ना होतीं
पर शायद तुम्हें ख़ुद मुझसे दूर जाना था।
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