ऐसे मत तड़पाओ मुझे,
यूँ छोड़ के मत जाओ मुझे,
शायद मैं लौट ही आऊं,
उसकी आवाज़ में बुलाओ मुझे,
मेरी उससे फिर मुलाक़ात हो जाएगी,
यारों अब इतना भी मत पिलाओ मुझे,
ख़ैर, छोड़ो, देखो कितनी ख़ूबसूरत लग रही हो,
अब खुदा के लिए, होश में मत लाओ मुझे,
तुम्हारी आवाज़ बहुत याद आती है,
वो नज़्म एक दफा फिर गुनगुनाओ मुझे,
तुम्हें पाने की चाहत ने बर्बाद किया है मुझको,
तुम तो पा सकती थी मुझे, पाओ मुझे!
मेरी रूह तड़प रही है तुम्हारे एक स्पर्श के लिए,
पहली बारिश की तरह, छू जाओ मुझे,
अगर पत्थर समझा है तुमने, तो पत्थर ही सही,
अपनी बारिश में, कागज़ की कश्ती मत बनाओ मुझे,
(1)-
मेरी ये ख्वाहिश, फक़त ख्वाहिश ही रही,
एक बार तुम भी मेरी तरह चाहो मुझे,
तुमसे रूठकर खुद से ही दूर हो गया हूँ मैं,
अब आओ और वापस से अपना बनाओ मुझे,
अब तुम मुझे हमेशा के लिए याद हो गई हो,
फर्क़ नहीं पड़ता, अब याद आओ या न आओ मुझे,
क्या ही रह गए अब इन शब्दों के मायने,
ये वादे, ये नज़्में, अब मत पढ़ाओ मुझे,
मैं पढ़ूंगा तुम्हारे सफर की दुआ जानाँ,
जाना है तो बेफिक्र होकर छोड़ जाओ मुझे,
तेरे करिश्मों के क़िस्से सुनाते फिरते हैं लोग,
खुदा, मेरे हक़ में भी करिश्मा दिखाओ मुझे,
वो गलियां, वो रास्ते, जहाँ कभी हम साथ चले थे,
आज भी वहीँ खड़ा हूँ, बस तुम आओ और उठाओ मुझे,
तुम्हें भुलाना मेरे लिए तो शायद मुमकिन ही ना हो,
मगर मेरी जान, तुमसे हो तो भूल जाओ मुझे
(2)-
ऐसे मत तड़पाओ मुझे,
यूँ छोड़ के मत जाओ मुझे,
शायद मैं लौट ही आऊं,
उसकी आवाज़ में बुलाओ मुझे,
(1)-
मेरी उससे फिर मुलाक़ात हो जाएगी,
यारों अब इतना भी मत पिलाओ मुझे,
ख़ैर, छोड़ो, देखो कितनी ख़ूबसूरत लग रही हो,
अब खुदा के लिए, होश में मत लाओ मुझे,
(2)-
तुम्हारी आवाज़ बहुत याद आती है,
वो नज़्म एक दफा फिर गुनगुनाओ मुझे,
तुम्हें पाने की चाहत ने बर्बाद किया है मुझको,
तुम तो पा सकती थी मुझे, पाओ मुझे!
(3)-
मेरी रूह तड़प रही है तुम्हारे एक स्पर्श के लिए,
पहली बारिश की तरह, छू जाओ मुझे,
अगर पत्थर समझा है तुमने, तो पत्थर ही सही,
अपनी बारिश में, कागज़ की कश्ती मत बनाओ मुझे,
(4)-
मेरी ये ख्वाहिश, फक़त ख्वाहिश ही रही,
एक बार तुम भी मेरी तरह चाहो मुझे,
तुमसे रूठकर खुद से ही दूर हो गया हूँ मैं,
अब आओ और वापस से अपना बनाओ मुझे,
(5)-
अब तुम मुझे हमेशा के लिए याद हो गई हो,
फर्क़ नहीं पड़ता, अब याद आओ या न आओ मुझे,
क्या ही रह गए अब इन शब्दों के मायने,
ये वादे, ये नज़्में, अब मत पढ़ाओ मुझे,
(6)-
मैं पढ़ूंगा तुम्हारे सफर की दुआ जानाँ,
जाना है तो बेफिक्र होकर छोड़ जाओ मुझे,
तेरे करिश्मों के क़िस्से सुनाते फिरते हैं लोग,
खुदा, मेरे हक़ में भी करिश्मा दिखाओ मुझे,
(7)-
वो गलियां, वो रास्ते, जहाँ कभी हम साथ चले थे,
आज भी वहीँ खड़ा हूँ, बस तुम आओ और उठाओ मुझे,
तुम्हें भुलाना मेरे लिए तो शायद मुमकिन ही ना हो,
मगर मेरी जान, तुमसे हो तो भूल जाओ मुझे
(8)-