निखिल प्रकाश राय  
134 Followers · 128 Following

read more
Joined 10 February 2018


read more
Joined 10 February 2018

बस एक इशारा काफी था पलट जाने के लिए,
भाग के उस लड़की के गले लग जाने के लिए,

उसकी तस्वीर लिए चलता था मैं पर्स में अपने,
फिर यूँ ही पर्स खोल लेता था मुस्कुराने के लिए,

एक दिन मुझे चूम कर वो ख़ुद आगे बढ़ गई,
और मुझे अकेला छोड़ गई, मर जाने के लिए,

सिगरेट का धुआँ करता है बस यादों को धुँधला,
असल में शराब चाहिए किसी को भुलाने के लिए,

हर वो शख्स जिसने भी देखा है मुझे हारते हुए,
यार, सब को शुक्रिया, मुझे आजमाने के लिए।

-



देश के संविधान ने कहा,
कानून व्यवस्था ने कहा,
समाज ने कहा,
पुस्तकों ने सिखाया,
शिक्षकों ने सिखाया,
समाज सुधारको ने कहा,
नेताओं ने कहा,
साहित्यकारों ने कहा कि,
"धर्मनिरपेक्ष" बनिये,
और एक दिन मेरी मृत्यु,
एक धार्मिक दंगे में हो गई,
क्योंकि मेरी कलाई पर,
एक "लाल कलावा" बँधा था।

-



हम स्वयं किसी से भी,
प्रेम करने हेतु स्वतंत्र हैं,
लेकिन बदले में उसे भी प्रेम,
करने हेतु बाध्य नहीं कर सकते,
सभी अपनी पसंद के अनुसार,
अपना प्रेमी चुनने हेतु स्वतंत्र हैं,
प्रेम इस दुनिया की सबसे,
पवित्र "लोकतांत्रिक प्रकिया" है।

-



मेरा हाथ छोड़ कर जैसे ही वो अपने घर को गया,
यूँ लगा मानो जैसे एक खूबसूरत सपना गुज़र गया,

अब मुझे क्या ख़बर कि वो है परफ्यूम की दीवानी,
अरे! मैं तो उस से मिलने तक बस नहा कर गया,

मैंने आवाज़ दी, जो अपना है मेरे साथ ठहर जाए,
सारे अपने चले गए, बस मेरा दर्द वहीं ठहर गया,

वो लड़का जो तुम्हें दिया करता था तमाम नसीहतें,
वो ख़ुद तुम्हारे प्यार में बहुत कुछ गलत कर गया,

हाँ, हाँ, वही लड़का ना, जो तुमसे प्यार करता था,
माफ़ी चाहता हूँ, लेकिन वो तो कब का मर गया।

-



कुछ तो करो मेरी जान, मेरी जान जा रही है,
कुछ इस तरह से मुझे तुम्हारी याद आ रही है,

एक लंबे वक़्त बाद, उस से मिला हूँ मैं आज,
यार कुछ तो मअसला है वो आँखें चुरा रही है,

कभी उसकी चाहत में दिन गुजारा करते थे,
अब उसकी यादों में रात गुजारी जा रही है,

एक वक़्त था कि हम परेशान थे नींद आने से,
क्या सितम है, अब मुझे नींद नहीं आ रही है,

इस ज़माने में सारे अच्छे लोग मरते जा रहे हैं,
यानी हम जैसे लोगों को मौत नहीं आ रही है।

-



कब तक इसकी ख़ातिर सब कुछ हारा जाए,
मैंने भी मुहब्बत की है, मुझे भी मारा जाए,

सुना है, मरने लगी है प्यार करने वाली नस्ल,
इंतज़ार में हूँ कि, कब मेरा नाम पुकारा जाए,

थक गया हूँ भटक कर इस बेरंग सी दुनिया में,
बेहतर है, माँ के साथ कुछ वक़्त गुजारा जाए,

एकतरफा कहाँ चल पायी है कभी मुहब्बत,
मुहब्बत मतलब कुछ हमारा कुछ तुम्हारा जाए,

क्या ग़लत है इसमें, अगर वो मगन है ख़ुद में,
किस हक से किसी को पागल पुकारा जाए।

-



तेरे बाद भी मुझे जाने कितनों ने किया मैसेज,
पर जब भी करने गई रिप्लाई, तेरी याद आई।

-



तेरे बाद भी मुझे जाने कितनों ने किया मैसेज,
पर जब भी करने गया रिप्लाई, तेरी याद आई।

-



भूल कर वज़ूद हम अपना, जीने लगे थे ख्वाबों में,
सीने से लिपटे थे जो फूल कभी, आज सूखे पड़े हैं किताबों में।

-



तुम किसी से बात नहीं करते, कमाल करते हो,
मर रहे हो मगर फिर भी ख़ुश हो, कमाल करते हो,

तुम्हारी ख़ामोशी तुम्हें भीतर से खाए जा रही है,
मग़र तुम फ़िर भी ख़ामोश हो, कमाल करते हो,

एक मुद्दत से तुम कभी खुल कर हँसे भी नहीं,
पर बेवक़्त मुस्कुराते रहते हो, कमाल करते हो,

ये दुनिया सुनना चाहती है बस मुहब्बत की तारीफ़,
मगर उसके खिलाफ लिखते हो , कमाल करते हो,

कुछ नाचीज़ कर रहे हैं तुम्हारे खिलाफ साज़िशें,
तुम सब जान कर भी चुप हो, कमाल करते हो।

-


Fetching निखिल प्रकाश राय Quotes