Nikhil Erande   (इश्क़-ए-निक)
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Joined 1 January 2019


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8 MAR 2021 AT 22:03

कुछ लिखना था मुझे उनके ऊपर
पर जिन्हें खुद खुदा ने लिखा है ,मैं उनके उपर क्या लिखूं
इश्क़-ए-निक
Happy Women's Day

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16 MAR 2020 AT 22:54

दिल में लाखों सवाल,ओटो पे मगर कुछ भी नही
एक दुनिया बस्ती है रस्ते किनारे,वो महलो मैं कुछ भी नही

अफसोस लिखने के लिए है बहुत कुछ,करने के लिए कुछ भी नही...
दिल-ए-अदांज मैं है बैडीया,हाथो पे तो कुछ भी नही...

जमी पे हर इंसान है एक सा,अलग कुछ भी नही...
तेरी जान मेरी जान सब एक है,अलग कुछ भी नही...

इश्क़-ए-निक

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16 MAR 2020 AT 22:47

है रिश्ता सभी से दोस्ती किसी से भी नही
है चाँद सभी के नजरो में ,पास किसी के भी नहीं...

है मुस्कान चेहरे पर,दिलो मैं कुछ भी नही...
खाली खाली सा जहाँ,पास सब है हाथ में कुछ भी नही

जेबों मैं सबकुछ है,एहसास मैं कुछ भी नहीं...
ए गाँव बड़े आलीशान है,इन शहरो मैं कुछ भी नहीं...

तेरे चेहरे पे सजती है रौनके,मगर भीतर कुछ भी नही..
है ख्वाबो मैं दुनिया तुम्हारी,हकीकत में कुछ भी नही..

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30 JAN 2020 AT 22:10

मैं आऊंगा से मिलने एक दिन जरूर
मगर यह दुनिया हमारे बीच की रुकावट न बने...

आज फिर एक बार खिल गया हूं में
मैं ऐसा फूल बनूं की जो कभी मुरझाया न करे...

अभी तक है कैद है हमारे सपने मेरे आँखों में
उन सपनों को ऐसे ही कैद करके रखु खुदा न करे...

आज मेरा दिल बड़ी जोरो से धड़क रहा है
क्या बात हैं की मेरी नजर तेरे तसमीर से हटा न करे...

दुनिया को हमारी महोबत क्यों झूट लगती है
तुझसे जुड़े हजार सवाल कोई मुझसे पूछा न करे

आज तेरे याद के समंदर में भरती आई है
आज किसी चीज़ मैं दिल लगा न करे...

*ishq-E-Nik*

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21 DEC 2019 AT 20:37

मेरे इसी पागलपन ने मुझे बचाया है वरना...
मुझे गिराने के लिए कही आँधिया तूफान आते है...

अब मुझे दिन और रात से कोई फर्क नही पड़ता
हम अब वो नही जो वक्त पे सोने चले जाते है...

ए जिंदगी तूने ही हमे बिघाडा है इतना
अब हम कुछ चाहे तो लिए बिना नही जाते है...

ए मंजिल तू भाग ले जितना तुझे भागना है
हम वो आशिक़ है जो कभी किसी को छोड़ के नही जाते...

Ishq-E-Nik

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21 DEC 2019 AT 20:28

वो कहते है कि वो हमें भूल गया
उन्हें क्या पता उनसे मिलने हम रोज आते है

पिछले मौसम जिसके साथ खिले थे
वो यादो के कोमल फुल याद आते है...

आसमान से दुनिया पूरी दिख जाती है
मगर नीचे से नजरो के सामने बादल आ जाते है...

दुनिया खरीदने के लिए कई लोग निकल आते है
यह प्यारे लोग, चुपचाप बिकते चले जाते है...

इंसान बनके तो सब आते है यहाँ...
मगर इस भीड़ में बिना इंसान से मिले वापस चले जाते है...

अगर वो हम से राज ए हक्कीत पूछते हैं...
जो हम खुद डूबे है लेकिन दूसरों को बचाते हैं...

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21 DEC 2019 AT 20:18

वोह इश्क़ याद आता है , वो दिन याद आते है
उनदिनों एक आवारा लड़का याद आता है...

अब ये सोचता हूं कि कोनसा दर्द लिखू...
उछल के अब तो हर दर्द याद आते है...

आजतक कितनो से मुलाकात हुई मेरी
मुलाकातो में छुपे वो चेहरे याद आते है...

उन दोस्तो से शायद मैं बिछड़ गया हु
इसलिए वही दोस्त बार बार याद आते है...

मुझे अपने जिंदगी का हुनर मालूम है
फिर भी वो चलके रास्तो में आ जाते है...

मैं बदला नही हु या मैं रुका भी नही हु
बीच मे मर्यादा के काफिले आ जाते है...


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16 NOV 2019 AT 19:48

अनोळखी रस्ते अनोळखी चेहरे अनोळखी वाहने तो पहातच असतो ना...
इवल्याशा पोटासाठी तो किती करत असतो ना...

पडत धडपडत जिकत हारत तो झोपेतून उठतच असतो ना
गर्दीतला माणूस परत गर्दीत जातच असतो ना...

कोणी तहानलेला कोणी उपाशी कोणी चिडलेला असतो ना...
गर्दीतला माणूस किती गुंतलेला असतो ना...

आकाशातला चंद्र दररोज एकटाच असतो ना...
गर्दीतला माणूस गर्दीत एकटाच असतो ना...

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16 NOV 2019 AT 19:42

गर्दीतला माणूस किती एकटा असतो ना...
एकटा असून ही आयुष्याची लढाई लढतच असतो ना...

रस्त्यावरच्या गर्दीत माणूस हळूहळू चालत असतो ना...
आयुष्याची वजाबाकी खरचं तो करत असतो ना...

धावपळीच्या आयुष्यात तो धावत असतो ना...
हरवलेल्या आयुष्यात तो आयुष्य शोधतच असतो ना...

चूक बरोबर खरं खोट किती भ्रमात असतो ना
गर्दीतला माणूस तरी घरी जातच असतो ना...

गर्दीतला माणूस स्वप्न डोळ्यात ठेवत असतो ना...
चालता चालता सर्व रितीरिवाज करतच असतो ना...

उच्च नीच गरीब श्रीमंत तो एकच असतो ना
गर्दीतला माणूस कसा ही असू तो एकच असतो ना...

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11 OCT 2019 AT 18:30

नही जानता की क्यू खमोश हू मैं...
सुलगते आग की तरह परवाज हु मैं आज...

वोह मुझे आज बड़ा मायूस मायूस लगा
छोड़के जाना उसके लिए सजा हो आज...

बड़े आसमान को पाने की जिद्द हैं दिल मे...
मगर क्यों डरकर खामोश हु मैं आज...

सच और गलत के उस पार कोई मैदान है
मुझे उधर सब से मिलना है आज...

यह आखरी लम्हा है मैं साथ तेरे
मुझे खुद को छोड़ के जाना है आज...

तुम मेरे बारे मैं और कुछ मत सोचो
जो मैं खूद नही समजा वही नग्मा हु मैं आज...

ishq-E-Nik














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