Nikhil Deshmukh   (डॉ निखिल ...)
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Joined 25 April 2020


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14 NOV 2023 AT 20:49

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अंधेरे मे उजालो की बारात लेकर ख्वाब सजाने आयी थी 1 दर्द मे हू तो हमदर्द बनकर चली आयी थी |

फिसल गयी राहो से तो सवारने मुझे, दौड के चली आयी थी 1 बिखरे हुये सपनो फिर से जगमगाने चली आयी थी !!

मौत के दौड मे जिंदगी जिने

- का जूनून लेके आयी थी । बेघर हो गइ थी मेतो खुद ही घर बनकर चली आयी थी 1

नये सपने, नये उमंगो नये उम्मीदो की "पुजा " आयी थी II

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11 JUL 2023 AT 15:52

तो  स्वेछन्द आसमंत  असणारा आकाश
अन त्यात नाजूक चांदणी मी!

तो सैराभर बहरणारा वारा
अन मंद  अशी झुळूक मी!

तो अथांग व्यापलेला सागर
त्यात विहारणारी नाव  मी!

तो गर्जत -बरसत  असलेला पाऊस
अन ओलचिंब झालेली सरी  मी!

तो वैशाखातला तप्त असा रवी
अन हेमंतातील गुलाबी थंडी मी!

तो अनुभवाने बहरलेलं फुल
अन निख्खळ -अल्लळ नाजूक कळी  मी!

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16 APR 2023 AT 17:20

Ye mohbbt dil ke shikawa tu n kar,
Kisi pe jada bharosa tu kiya n kar
Hum bikhar jayenge ye jindgi
Tu kisi pe bharosa na kiya kar
Kisi julpho ki kayamat mein duba na kar
Chehare pe muskan aur dil mein
Dard leke ghuma n kar
Ye jindgi tere ulaze huye sawalo ke jawab dhundha n kar ....

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22 FEB 2023 AT 20:47

  मज  मला आता सगळे कळते
डोळ्यातील अश्रू डोळ्यातच दाटते !

भावना त्या ओसंडून हृदयी वाही
जशी क्षितिजावर प्रकाश दिशा दाही  !

मृगजळ ते नाते आता  ओसरले
आठवणीचे क्षण ते परके  झाले

मी  मज आता न राहिलो
विरहात तिच्या आकंठ बुडालो

क्षण मैत्रीचे  ते  प्रेमात बदनाम झाले
नाते मैत्रीचे लया स गेले

नको चन्द्र तारे सोबतीला माझ्या
फक्त मला हवा आभास तुझा

निष्ठुर-निर्दय का  झाले  ते  नियती चे घाव
डोळ्यात नित्य  असेल तो मैत्रीभाव

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3 NOV 2022 AT 5:56

अंधेरे मे उजालो की बारात लेकर
ख्वाब सजाने आयी थी l
दर्द मे हू तो हमदर्द बनकर
चली आयी थी ll

फिसल गयी राहो से तो
सवारने मुझे, दौड के चली आयी थी l
बिखरे हुये सपनो फिर से
जगमगाने चली आयी थी ll

मौत के दौड मे जिंदगी जिने
का जूनून लेके आयी थी l
बेघर हो गइ थी मे तो
खुद् ही घर बनकर चली आयी थी l

नये सपने, नये उमंगो ,
नये उम्मीदो की " दर्शनी " आयी थी ll

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1 NOV 2022 AT 20:00

मोडीत होतास , मला
मोडण्याचे भय नव्हते !

दश हत्तीचे बळ शरीरात घेऊन
चेहर्‍यावर स्मित हास्य होते !

ऐसे कैक आले कैक गेले ,
यत्न त्यांचे पाडण्याचे मला !

अस्मानी संघर्षाला तोंड देत
उरून पुरलो मी

मला नाही सांगायचे दुःख माझे आता
तू , निष्ठूर कसा झालास
दुसर्‍याचे पाप माझ्या वाट्याला !

सरकारची ती खेळी मज् मला आता कळते आहे
मताचे राजकारण सगळ काही समजते आहे !

बस्स करा आता , अंत पाहू नका माझा
नाहीतर होईल ती कृषक क्रांती

तेथे नसेल कुणी मालक पुढारी
फक्त सत्ता सम्राट होईल " शेतकरी "

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20 OCT 2022 AT 9:49

" आरंभ "
कोई अग्यान , निराश हो जाये
तो उमेदी का रास्ता हो तुम् !
छोटे बच्चे से उलझे हुये
सवालो का जवाब हो तुम ,
बच्चो का विकास और वाढ का दायित्व
समाकर जिते हो तुम ,
नदीया अपने -आप समा लेती
ऐसे ग्यान का सागर हो तुम,
अंदरसे अंदर तुटे हुई आरोग्य-व्यवस्था की
मजबूती की जिम्मेदारी हो तुम ,
राह से दशा हुये आशा की
दिशा हो तुम ,
सोई हुई आरोग्य व्यवस्था की
आशा की किरण हो तुम ,
नये उजालो-सपनो ,नये उमंग
नयि उमेदि का "आरंभ " हो तुम




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27 SEP 2022 AT 21:08

मोहबत इस कदर थी,
पर बात उसूलो पे आयी थी !

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29 AUG 2022 AT 21:18

Mai akela tha sunsann rasto pein ,
Sath chodha tha gehare dost ne,
Bikhar gaya raho se
Rehta tha mehfilo mein
Pr akelepan hai nashib mein
Jindgi mein ab kuch to than liya mein
Jamane ko badalate dekha hai hamane...

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29 AUG 2022 AT 20:51

Dil koi tode to muskurate nikalake jaana
Jindgi mein us lamho se kuch to sikhana
Narajagi man ko apne aap khayegi
Par ubarkar usase datake rahena ....

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