Nikhil Bhardwaj   (निखिल भारद्वाज)
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मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय !
Joined 24 February 2018


मिट्टी का तन,मस्ती का मन,
क्षण भर जीवन-मेरा परिचय !
Joined 24 February 2018
22 AUG 2021 AT 22:24

मै घर का इकलौता कहलाता हूँ
मै अपनी माँ का हाथ बटाता हूँ
जरा पापा से घबराता हूँ
मै घर का इकलौता कहलाता हूँ


राखी पे मै बैठ अकेला
देख कालाही खुद की मै
खुद को मै समझाता हूँ
मै घर का इकलौता कहलाता हूँ

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6 JUN 2021 AT 17:55

कभी गिराते है कभी उठाते है
कभी भटके को राह दिखाते है
ये ही शिव है
जो इस दुनिया के मदारी का किरदार निभाते है

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13 JUL 2020 AT 0:52

कही खो गया हूँ इस भीड़ मे खुद को भूलाते जा रहा हूँ
पहले हर बात पर बहस क्या करता था
अब खामोश होते जा रहा हुँ

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29 JUN 2020 AT 0:36

एक कश जो मिल जाए, मेरे होटो को तुम्हारे हाथों से
तो मेरी रूह की लौ खुदा से मिल जाए

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27 JUN 2020 AT 9:09

पहुंच के बहुत बाहर हूँ बस इसी लिए लकीरें खीचता रहता हूँ खुद को बचाने के लिए

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19 JUN 2020 AT 6:58

इतनी खामोशी से अब जिंदगी बिता रहे है हम
जैसे गहरे समंदर के सफर पर जा रहे है हम

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16 JUN 2020 AT 15:00

मैं भी इन बदलो सा ही गहरा लगता हुँ शायद!
तुम हवा सी बन कर आओ तो मै भी बरस जाऊ शायद !

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16 JUN 2020 AT 6:45

अब ये नकली का मुस्कुराना हम छोड़ देते है
ये दुनिया है खंजर सी,
पर खुद मे ही अपना हम सुकून समटे है
चलो अब भूल जाते है जितने भी सितम है इस जहाँ मे
बस अब जरा दिल से मुस्कुरा कर दिल से जीते है

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18 APR 2020 AT 0:53

ये वक्त खंजर सा है थोड़ी मरहम लगा दे माँ
मै अश्क़ लिए हूँ भटक रहा फिर से लोरी सुना दे माँ
इस जालिम ज़माने का क्या कहु, म
मै बच्चा ही अच्छा हूँ मेरा बचपन लोटा दे माँ

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11 APR 2020 AT 14:24

जो दफन थी उनकी यादे उन पुराने किस्सों मे
बस जरा सा मुस्कुराना उनका उनमे जान फुक गई

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