मेरे लफ्ज़
मै लफ्जो को
में मेरी हकीकत लिखूं
या मेरी परछाई लिखूं
मैं लफ्जों में सिर्फ बात लिखूं
या उसकी गहराई लिखूं
अलग सा मेरा किस्सा है
मेरे लफ्ज़ मेरी
जिन्दगी का हिस्सा है
ख़ुशी में साथ चलते है
दुख मे साथ जलते है
हर घड़ी के साथी है
जैसे दिया और बाती है
रो पड़ते है छोटी छोटी बातो में
मेरे लफ्ज़ मुझसे ज्यादा जज्बाती है
उसे आदत बुरी लगने लगी है
मेरे साथ राते जगने लगी है
और क्या लिखूं मेरा और उसका रिश्ता
उसे हर कहानी अधूरी अच्छी लगने लगी है NR
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हे भगवान हाथ जोड़कर तुझसे माफी है
मुझे किसी के साथ की जरूरत नहीं
मेरे लिए मेरे पिता ही काफी हैं। NR
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मेरा चेहरा तुम्हारी आंखों में सना रहने दो
मेरा जो तुमसे रिश्ता है ना वह बना रहने दो!NR-
ये सफर
ये सफर जिससे मे हु बे खबर
कहा ले जाएगा ये सफर
डग-मगाते रास्ते
रास्तों मे महत्वकांशी आशाए
न जाने कोनसी ईशाए परबल
न जाने किस सुकून की आस है
इन बे खबर रास्ते मे कोन बताएगा
कि मंजिल कितनी पास हे
और एक तरफ यहा जिन्दगी हमसे उदास है
ओर दूसरी तरफ मोत हमसे बे खबर
न जाने कहा ले जाएगा ये सफर
जिससे में हु बे खबर
ये सफर।NR-
कैसे कर लेते हो
कैसे कर लेते हो एक बार में 100 बार की मोहब्बत कैसे कर लेते हो बिना देखे इन बहती आंखों का दीदार video कॉल पर मिलकर भी कुछ बातों की कमी रह जाती है तुमसे मिलकर भी मिलने की नमी आंखों में रह जाती है दिल की तड़प क्या कम थी जो खयालों में भी आती हो क्यों हर घड़ी हर रात यूं सताती हो क्यों बेवक्त आती हो और आंखें खुलते ही चली जाती हो क्यों तड़पाती हो क्यों आजमाती हो क्यों ना अब हमारी दूरियां कम हो जेसेेै दिया और बाती हम हो! NR
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उन्होंने कहा शायरियों में तुम अच्छे हो हमने कहा नहीं अभी हम कच्चे हैं उन्होंने कहा लफ्ज़ तुम्हारे पक्के हैं हमने कहा नहीं यह अभी बच्चे हैं NR
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मेरे प्यार का एक वादा है मेरी उम्र से भी ज्यादा है पर यह समाज है यही बाधा है ना मैं कृष्ण हूं ना तू राधा हैNR
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टुटना किसे कहते हैं कोई हमसे पुछो
फरेबी हूं जिद्दी हूं पत्थर दिल भी हूं मासूमियत खत्म कर दी जनाब आपने हम से दगा करके ! NR-