मेरे वीरान पड़े खंडहर को
पुनः बसाने के लिए शुक्रिया।
मेरे पतझड़ से जीवन को
बसन्त बनाने के लिए शुक्रिया।।-
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क्यों मेरा खुद पर यूं बस चलता नहीं
क्यों उसकी यादों का दिन ढलता नहीं।
मैं भटकता रहता हूँ उसके इर्दगिर्द कहीं
एक वो है जो मुझमें से निकलता नहीं।।-
हर किसी की अपनी अलग कहानी है
हर किसी का अपना अलग किरदार है।
मैं उसे आजकल अपनी मौत लिखता हूँ
लोग जानतें हैं कि मुझे मौत से प्यार है।।-
वो दिल क्या करे जिसमें बस एक दिलबर हो
और उस दिलबर के दिल में यार हज़ार हो
वो कवि क्या प्रेमकथा लिखेगा अपनी
जिसको एक बद्दचलन वैश्या से प्यार हो
भरी दुनिया में पता नहीं क्यों उसे
बस एक वही कोई रानी सी लगी होगी
शायद मर गए किस्मत ज़मीर एक साथ
तभी उस प्यासे को वो पानी सी लगी होगी
कोई क्यों पिएं उस पानी को जानबूझकर
जिस पानी से पहले इतने लोग हुए बीमार हो
वो कवि क्या प्रेमकथा लिखेगा अपनी.............
आखिर क्या मजबूरी रही होगी उसकी
क्यों उसने एक वेश्या को यूं इस कदर चाहा होगा
आखिर क्यों धोखा, बेवफाई ओर फिर जुदाई
इतने दुख सहकर ये दिल कितना करहाया होगा
बस एक बेवफा मक्कार धोखेबाज हुई तो क्या
जरूरी नहीं नीरज उसी जैसा ये सब संसार हो
वो कवि क्या प्रेमकथा लिखेगा अपनी..........-
या तो मेरे दुश्मन मुझे मुझसा याद कर
या फिर बस मेरे मरने की फरियाद कर।
बता जीना आसान है या मरना तेरे बिन
मुझे मोक्ष दे इस झंझट से आजाद कर।।-
किसी शायर से इश्क़ ना करना
जो तुम्हें क़यामत लिख सकता है
वो तुम्हें क़यामत भी लिख सकता है-
जिस तरह आज है वो तेरा
कल किसी ओर का अनुरागी हो।
भगवान करे अभिषेक हो तेरा
भगवान की कृपा से तू त्यागी हो।।-
सुबह की सूर्य की पहली किरण सी हो तुम
तुम बिन मेरे जीवन का सवेरा नहीं होता-
ज़माना कहे मुझे नास्तिक भले ही पर सचाई है कि
अपने महबूब को मैं खुदा से ज्यादा मानता हूँ-