हम बतायेंगे अगर भी तो न समझोगे ।
इश्क की बज़्म से गुजरोगे तो जानोगे ।
हिज़्र की बात कभी तुम पे गुज़र जायेगी,
कितना रोओगे ओ चीखोगे ओ तड़पोगे ।
हो कहीं दूर तलक जिसका किनारा ही नहीं,
ऐसे दरिया में कभी कश्ती लिए उतरोगे ।
इस तरह नामोनिशां मिटता चला जायेगा,
चोट खाओगे ओ टूटोगे ओ बिखरोगे।
हर तरफ वो ही नज़र आने लगेगा तुमको,
होके पागल जो किसी को भी कभी ढूंढ़ोगे ।
लाख समझाये कोई राह पे चलना 'नीरज' ,
जब चलोगे ओ गिरोगे हाँ तभी सम्भलोगे ।- Neeraj Nishchal
1 APR 2019 AT 21:56