छाओं याद लाई ज़ुल्फ़ तुम्हारी.. धूप लाई माथा और परछाई पाओं .. सुबह याद लाई आंखें तुम्हारी.. दोपहर लाई गाल और रात पलकें.. चादर याद लाई बांहे तुम्हारी .. तकिया कांधे और लिहाफ उंगलियां .. तन्हाई याद लाई लब तुम्हारे ... जाने वो कौनसा पहर कौनसी शय होगी .. जो ले आए तुम्हे और बस तुम्हे...
तेरी बे-वफ़ाई पर पर्दा डालेंगी ।। इन्हे कौन समझाये अब शर्मिंदा नही हूँ मैं।। तेरी यादों की ज़िद्द है क़त्ल कर डालेंगी ।। इन्हे कौन बताए अब ज़िन्दा नही हूँ मैं ।।