दीपक में रौशनी, रौशनी में प्रकाश,
पुलकित है धरती, जगमग है आकाश,
पटाखों का शोर, दीयों की कतार,
विराजे मां लक्ष्मी आपके द्वार-
साहब उसका दिया हुआ आखरी
तोहफा था ,तो रख लिया हमने ,
वरना मोहब्बत की इतनी औकात,
कहा थी ,की ये हमें दर्द दे सके ।।।-
ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें,
हम खुद निशान बन गए वार क्या करें,
मर गए हम मगर खुलो रही आँखें,
अब इससे ज्यादा इंतज़ार क्या करें ||
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सुहाना मौसम था हवा में नमी थी;
आँसुओ की बहती नदी अभी अभी थमी थी,
मिलने की चाहत बहुत थी उनसे;
पर उनके पास वक़्त और हमारे पास सांसो की कमी थी !!-
ज़िन्दग़ी के फैसले को सहारा मिल गया , डूबते कश्ती को किनारा मिल गया ,
जबसे तू आई है मेरे ज़िन्दग़ी में ,
हर अंधेरी रात को सवेरा मिल गया !!!
Piyush prakash-
वो नाराज़ हैं हमसे कि हम कुछ लिखते नहीं;
कहाँ से लाएं लफ्ज़ जब हमको मिलते नहीं;
दर्द की ज़ुबान होती तो बता देते शायद;
वो ज़ख्म कैसे दिखाए जो दिखते नहीं !!-
ख्वाइस तो यही है कि तेरे बाँहों में पनाह मिल जाये,
शमा खामोस हो जाये और शाम ढल जाये.
प्यार इतना करे कि इतिहास बन जाये,
और तुम्हारी बाँहों से हटने से पहले शाम हो जाये !!-
उल्फत में अक्सर ऐसा होता है,
आँखे हंसती हैं और दिल रोता है,
मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी,
हमसफर उनका कोई और होता है !!
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अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो;
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो;
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना;
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो !!
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ये माना कि बड़े ही बदनाम हैं हम,
कर जाते हैं शरारत क्यूँ कि इंसान हैं हम,
लगाया ना करिए हमारी बातों को दिल से,
आपको तो पता है कितने नादान है !!
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