विषय सुन मन मेरा विचलित हुआ है ।
वातावरण कि सोचे तो मन मेरा चिंतित हुआ है ।।
सोच कर देख ए ग़ालिब,
पेड़ - पौधों से ही आज खुशहाल हमारी ज़िन्दगी है ।
उद्योगों को ध्यान रखते हुए इनके साथ हो रही दरिंदगी है ।।
इनके महत्तों को समझें तो तर्क कम पड़ जाएँगी ।
वर्तमान हालात को देखें तो आँखें नम पड़ जाएँगी ।।
पांच तत्व से बना इंसान,
जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश ।
पर्यावरण सुरक्षित हो तो ये सारे है आस पास ।।
धरती लोक कि ये अद्भुत रचना में से एक हैं ।
सोच कर देखो तो इन्हे बचाने के रास्ते अनेक हैं ।।
आज तक जो ग़लती कि उसके लिए तुम्हें माफ़ी है ।
आज से भी आदतें सुधार लो तो प्रकृती के लिए काफ़ी है ।।
इस दिन के उपलक्ष में एक प्रतिज्ञा करते हैं ।
जहाँ है अन्धकार, वहाँ इसकी अभिज्ञा करते हैं ।।
इस वायुमंडल के लिए अपने कर्त्तव्य को निभाना है ।
इस धरती को हमें और सुसज्जित बनाना है ।।
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