कभी कभी जब तन्हाइयों से सामना होता है,
तुम दौड़ते हो रगों में जैसे सर्द हवा का झोंका है !!
ताल्लुक़ तो दुनियाँ में शायद बहुतों से होता है,
पर ताल्लुक़ात हर लम्हा सिर्फ़ तुम्हीं से होता है!!
मेरी परछाइयों में और मुझमें तुम हर वक्त होते हैं,
पर महफ़िल में मैंने हर क़दम हर पल तन्हा देखा है!!
सुनती आयी हूँ सच्ची मोहब्बत में मिलन नहीं होता है,
तभी चाँद आसमान में और चकवा जमीन पर सोता है!!
पर यूँ मिलने ना मिलने से अहसास ख़त्म कहाँ होता है,
यूँ कहूँ कि मैं क़लम तो वो मेरी शायरी में होता है!!
वह ज़र्रे ज़र्रे में हर पल हर पल ख़्यालों में होता है,
मैं सोती हूँ मदहोश तब वो मेरे ख़्वाबों में होता है!!
मोहब्बत कोई पल दो पल का साथ नहीं "नीलम",
मोहब्बत में बन्दा जन्म जन्मांतर नीलाम होता है।।
- नीलम शर्मा (नीला✍)
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