Nihshesh Krishna   (Shubhuuu)
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Joined 18 July 2018


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Joined 18 July 2018
22 APR 2020 AT 13:45

इस जिंदगी की दौड़ में, कम्बख्त बहुत ठोकरें खायी है

कभी सपनों से, तो कभी अपनों से तकलीफें पायी है

थक गया हूं, मगर फिर भी चलता जाउंगा

क्योंकि मेरी मां ने मेरी success के पीछे अपनी हंसी छिपायी है।

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26 JAN 2020 AT 10:46

तू उम्मीद हार चुका है, इस बात में तेरी कोई शान नहीं है।

मां-बाप के बिना, कितनी भी लम्बी ऊंचाईयों का कोई मान नहीं है।

कुछ कर इन टूटते हुए ख्वाबों को सच करने के लिए,

क्योंकि अब ये सवाल सिर्फ तेरा नहीं, तेरे मा-बाप के सम्मान की है।

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5 JAN 2020 AT 16:00

जानता हूं एकदम टूट गया है तू ,हर बार नाकाम होकर,

अब तो तुझे पसंद आने लगें हैं ,ऊंचे सपने देखना सिर्फ सोकर,

क्या तुझे तकलीफ़ नहीं ,तेरे सपने रह जा रहे सिर्फ ख्वाब बनकर,

तकलीफ़ हैं तो उठ! और हर हार के बाद ,एक कोशिश और कर।

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15 DEC 2019 AT 17:18

कैसे जीता है यार तू , यूं खुद को हारा हुआ मान के,

लगता है सच में बुजदिल हों गया तू ,लोगों की बातें सुन-सुन के,

अगर हां तो जीना छोड़ , नहीं तो दिखा कुछ सबसे अलग करके,

कुछ ऐसा जिससे दुनिया को लगें कि ग़लत किया इन्होंने तुझको फालतू समझके।

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17 NOV 2019 AT 13:11

जब कुछ करने का वक़्त आया तो पहला हारा खुद को पाया
पहली सीढ़ी अंजानी सी मिली जिसे उस घड़ी पहचान ना पाया
अंदाजा ही नहीं था जैसे हालात हुए, सोचा ही नहीं इसको कभी
अब जो कहूं मै आगे कि तो चुनौती भी दूंगा और मै ही जीतूंगा भी


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19 SEP 2019 AT 14:12

जिस सफ़र पर हम निकले हैं, इसको हम ही ने चुना हैं।

जिंदगी जीना आसान होता है, ये बात कही नहीं सुना हैं।

मैं कैसे हार जाऊं इन तकलीफों के आगे,

मेरी तरक्की की आस में, मेरी मां ने हर मंदिर में घुटने टेका हैं।

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1 SEP 2019 AT 12:06

याद रख जब भी तु हारेगा, तो तु अकेला नहीं हारेगा।

अगर तू मुश्किलों से डरा, तो लाखों सपनों को मारेगा।

सोचना छोड़ इस दुनिया के लिए, सोचो सिर्फ उस मां को जो दिन रात आंखें बिछाए रहतीं हैं।

और हर एक से कहती हैं, देखना एक दिन मेरा बेटा IAS बन कर आयेगा।

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12 AUG 2019 AT 10:24

जिंदगी में मिलेगा हीं क्या, जब तुम परिश्रम से भागोगे।

अगर क़िस्मत के भरोसे बैठोगे, तो हमेशा हारोगे।

मगर जब तुम अपनी मुश्किलों से ज्यादा, इरादों पर एतबार करोगें।

तो देखना उस दिन तुम, अपनी किस्मत को ख़ुद हरा लोगे।

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16 JUN 2019 AT 12:21

आज ठोकर लगी तो तु रुक गया, क्या यही तक चलना था तुझे,

हार कर अपनी जिंदगी से, क्या यही तक लड़ना था तुझे,

नहीं। तू खुद को देख, तेरे सपने कहीं बड़े है इन ठोकरों से,

तेरे सपने तेरे होंगे, बस इन ठोकरों को ठोकर मार कर, तू छीन ले अपने सपने इनसे।

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7 MAY 2019 AT 10:40

जीतने की चाहत रखते हों, तो कुछ बड़ा करने की फितरत क्यों नहीं है दिल में।

यूं थक कर हार जाते हों बार-बार, क्या इसी तरह सफल बनोगे जीवन में।

बस हो गया, अब तो जीतना है सिर्फ और सिर्फ जीतना है इस जंग में।

ऐसे हर बार रुकने से कुछ नहीं होगा, एक आग भी चाहिए जीत के लिए सीने में।

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