#हक़ीक़त
विश्वास ताले की चाभी भी विश्वास है,
यदि
चाभी खो गई ताला स्वतः ही टूट जाता,
या सदैव के लिए बंद रह जाता।
रह जाती
बस एक कसक,
उस चाभी के खो जाने की
अतः
।। ये चाभी संभाल कर रखें ।।
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धर्म पर चलना आसान नहीं होता है,
इंसान इंसान होता है भगवान नहीं होता है। ।
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।।आत्मचिंतन।।
आत्मचिंतन एक सृजन है,
स्वयं का
आत्मचिंतन, एक खोज है,
भीड़ से हट एकांतता का।
आत्मचिंतन स्वयं के विकास का आधार,
आत्मचिंतन, जागृत करे स्वयं में संस्कार ,
आत्मचिंतन, विकास की धारा है।
आत्मचिंतन जीत की लौ है।
आत्मचिंतन से आत्मज्ञान की ओर
मार्ग प्रशस्त होता है।
अतः
आत्मचिंतन से
सत्य का भान करो
आत्मचिंतन करो
और स्वयं का निर्माण करो।
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#worldconservationday
वसुंधरा की छतरी बनकर वृक्ष ताप पी जाते हैं
खुद विष का पान करें प्राणवायु बिखराते हैं
कल कल बहती नदियों को, दे राह,
भटकने से रोकें
रंगो, खुशबु , फल और सब्जी
सब कुछ मानव को सौंपें ।
धरा अगर गृह मान लें तो
ये हरियाली फर्नीचर है ।
इनके बिन न कुछ जीवित ,
सब मानो मृत्युवत है ।
प्राण को प्राणवान रखना
तो
प्रकृति रक्षण सवोर्परि
भू को हरा भरा रखा तो
हर जीव सुरक्षित
खुशियाँ चहुओर भरी ।
🌷🌳🌷
प्रीती एच प्रसाद-
तसब्बुर में तेरा आना क्या कहिये।
चिलमन में धीरे मुस्काना क्या कहिये।।
हर बंदिश होने पर भी जानेजां।
मुझसे यूँ मिल जाना क्या कहिये।।
प्रीती एच प्रसाद
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वतन की खुशबु, वतन की रंगत, कहीं बहारे असर ना जाए,
मोहब्बतों से सजा ये गुलशन, कभी भी नफ़रत नजर न जाए।
जो महलों में बैठे बात करते, गरीबी को हम मिटा ही देंगे,
वो कचरे से रोटी खाता बच्चा,तलक क्यूँ उनकी नज़र ना जाए।
जो आबरू पे लगाये महफ़िल, गरज गरज कहे सही क्या,
तड़पती लड़की जो राह फेंकी, कहानी का क्यूँ असर ना जाए।
है मजहबी धर्म हैं सिखाते, दया धर्म को जो भूल बैठे,
कलाम, इकबाल की देशभक्ति रगों में इनके बिखर ना जाए।
प्रीती 💫-
इस ताल्लुक़ ए ख़ातिर का अंजाम सोचिए।
बेनाम है जो उल्फत कोई नाम सोचिए।।
तस्दीक कर रहे हो अगर हर मिजाज़ की।।
गर गुम गए कहीं तो हमनाम सोचिए। ।
चेहरे पे जो शिकन है क्यों है कहो कभी
गर हम चुरा ले गम तो गुमनाम सोचिए ।
मुस्कान की जो कीमत हमसे कभी कहो।
कीमत हँसी हमारी आराम सोचिए।।
हो हिज्र या हो वस्ल ना रंज ना शिकायत ।
खुद साथ ये खुदा का पैगाम सोचिए। ।
💞💞-
तुम
मुस्कराती हो तो चांद लगती हो
तारों का ठिकाना तुम्हारे आँगन में
और ये अनकही बातें तुम्हारी ,
इक अधखिली शाम सी,
बेचैनियों को खुद मे ज़ब्त कर,
मीठी जलधारा की तरह तुम्हारा
अविरल प्रवाह मुझे तुम जैसा
शक्तिशाली और कोमल बनने की
प्रेरणा देता है,
कभी कभी विचार करती हूँ,
ये दोनों ही विपरीत गुण
एक ही व्यक्ति के अंदर कैसे
तुम ईश्वर की अप्रतिम रचना हो,
सुनो!
तुम ऐसी ही मुस्कराती,
दर्द को हराती रहना,
और मेरे समान अनेकों की
प्रेरणा स्रोत बनना,
ताकि मेरे जैसे अनेक
ना चाहते हुए भी तुमसे प्रेम
करने को मजबूर
हो जाएं।
प्रीती ❣❣-
नव प्रभात
नव प्रभात में अब मेरी मुस्कान अलग है;
आज से, अब से, हाँ मेरी पहचान अलग है;
मै चिड़ियों सी उड़ आऊंगी बादल बादल;
चूँ चूँ चीं चीं सी मेरी अब तान अलग है;
अब मुझको गीतों सा मीठा बन जाना है;
अब मुझको मुस्कान बाँट घर घर आना है;
अब मुझको हर दीप प्रज्वलित कर देने हैं;
अब मुझको दुःख दुखियो के हर लेने हैं;
अब मुझको खुद के आगे बढ़ना होगा;
अब मुझको हर ह्रदय में घर करना होगा;
अब मुझको दुखी हाथ, हाथ में लेना है;
अब मुझको इक अपनापन उनको देना है;
अब मेरा सही लक्ष्य देश सेवा में है;
अब जीवन का तथ्य देश सेवा में है;
अब विषय, विचार को स्व के आगे रख दूंगी;
मैं मातृभूमि की सेवा का अब व्रत लूँगी;
अब नया सूर्य ये आँगन में है आ चमका;
अब स्फूर्ति से रोम रोम मेरा दमका;
अब जीवन का हर सार समझ मे आया है;
इस नई सुबह ने नया गीत बनवाया है।।
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रात हमारे ख्वाब कहाँ हैं,
तारों की बारात कहाँ हैं
जो पलकों को सहला जाए,
उन हाथों का साथ कहाँ है??
विकल है मन, अधर है सूखे
कुंठित तडित वेदना के पल,
चुभ चुभ खूब सताते पल पल,
मनमोहक कोई बात कहाँ है?
सूखे कुसुम और चांद भी तन्हा,
बंजर मन का कोना कोना,
जो बूंदों से तृप्ति दे दे,
वो प्यारी बरसात कहाँ है?
मैं निज नयनों में जो खोजूँ,
वो मंजुल रूप नहीं मिलता है,
और खुले नयन, घबरा जाती हूँ,
अब प्यारा वो साथ कहाँ है?
प्रीती ❣
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