Niharika Singh   (देहाती लड़की😊❤️)
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झल्ली, जिद्दी
Joined 7 August 2020


झल्ली, जिद्दी
Joined 7 August 2020
23 FEB 2022 AT 9:58

घणों बावलो है म्हारा बकलोल,
दिल की लगी बुझाया करे कोणी।
कहीं जाया करें भले प्रीतम म्हारे,
अहसास उण रे जाया करे कोणी।

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12 JAN 2022 AT 15:14

कहीं नरेंद्र जब कोई धर्म बचाने चलता है ।
अनगिन पाषाणी कंटक वो हंसते हंसते दलता है ।।
भारत मां की गरिमा उसको परम ध्येय - सी लगती है ।
कलेजा मगर मलेच्छों का तब ईर्ष्या भय से जलता है ।।सब धर्मों का आदर करना किंतु निज पर अडिग रहो ।
याद करो नरेंद्र की वाणी हिंदू हूं गर्वोन्नत कहो ।
खतना वाले कहीं नहीं थे राम कृष्ण अवतारों संग।
याद करो कुम्भा ताना को जगाओ अब निज तेज अहो ।।

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12 JAN 2022 AT 15:07

ढोंगी और शिखंडी बैठे सत्ता के गलियारों में ।
सनातन का इतिहास बेचकर वामपंथी बाजारों में ।।
शर्म हया से भेंट नहीं इन कुर्सी खोर दरिंदों की ।
राष्ट्र धर्म का भाव लगाते ये वोटों के व्यापारों में।

कोई जूते चाट रहा जाकर बीजिंग की गलियों में ।
कोई आग लगाए तीन सौ सत्तर की कश्मीरी कलियों में।।
हलवालों का हाल न पूछो छलित हुए सब बैठे हैं ।
वोट की खातिर नंगा नाचें शाहीन बाग की गलियों में।।

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11 JAN 2021 AT 15:11

भृकुटी विलास जिसकी रचे ब्रह्मांड नए
उसे कोई क्या इक महल दिलाएगा।
एक पल में छोड़ जो साम्राज्य चला,
उसे क्या कोई सबक न्याय के सिखाएगा?
जिस भारत भू में हैं श्री राम के चरण रज
मूर्ख ही उसके प्रमाण लाने जाएगा,
राम मेरे रमे हुए हर चर अचर में,
उसके अस्तित्व पर प्रश्न कौन उठाएगा?

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7 JAN 2022 AT 6:32

जीवन को जीवन
कहा जा सकता।
गर उसके पहले
काश!

ये काश मिट जाता!

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7 JAN 2022 AT 6:30

मेरे सोने के बाद भी
जागते रहे जज़्बात मेरे,
नतीजतन कल रात
नींद बड़ी बेचैन सी थी।

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6 JAN 2022 AT 18:24

चयन तुम्हारा तय कर देगा दिशा तुम्हारे जीवन की।
अन्तिम दिवस युद्ध का होता रहा सदैव से भीषण ही।।
जाग उठी है सुषुप्त चेतना महाकाल के बच्चों की।
यदि चेतोगे नहीं अभी तब भविष्य लिखा है दारुण ही।।

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6 JAN 2022 AT 18:21

किंतु अंतिम सीमा थी ये हिंदू के सह जाने की ।
निष्फल लौटेगी हर कृत्या तुम्हारे षड्यंत्री तहखाने की ।।
अभी दौर है बाकी, बाबा गोरख अवतारी का ।
उसके सत्ता लेते ही आएगी ध्वनियां मिमियाने की ।

पुरुष - सिंह यदि मर्यादित हो, नहीं उसे उकसाओ अब ।
यदि सुदर्शन भॉंजा उसने बैठे सभी पछताओगे तब ।
अभी घड़ा किंचित खाली हैं, पाप तुम्हारे होने दो ।
या फिर भगवे की छाया में शरणार्थी बन आओ अब ।।

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6 JAN 2022 AT 18:18

यदि खरोंच भी आती उस दिन सेवक प्रधान को कहीं तनिक ।
अति विनीत हिंदू भी बन जाता प्रतिशोध में क्रूर बधिक ।।
सत्ता की लालसा तुम्हारी मिट जाती पप्पू -पिंकी ।
जीवन से भी हो जाती तब मृत्यु तुमको प्रिय अधिक।।

एक गृहस्थ योगी के ताप को झेल नहीं तुम पाते हो ।
उसे मिटाने कभी चवन्नी कभी भांडों को लाते हो ।।
किंतु खड़ा वो अचल हमेशा जगदंबा का वरद पुत्र है ।
सोने को तुम जला-जला कर और सुघड़ कर जाते हो ।।

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6 JAN 2022 AT 18:14

सत्ता और समाधि को जो देख रहा है एक भाव से।
उसको चित्त करोगे कैसे अपने नीचता भरे दांव से ।।
महाकाल ने निज हाथों को जिसके माथ सजाया है ।
वो शेर भला क्यों डरने वाला वर्ण सकंरित उदबिलाव से ।।

किंतु हंसी आती है उसको, देख तुम्हारे क्रिया कलाप ।
अमर्यादित, दिशाहीन तुम; नहीं विपक्षी हो कोई श्राप ।।
सत्ता लोलुप बहरूपियों ने कहीं किया गौ हत्या का पाप।
और कहीं वोटों की खातिर करने लगते हवन औ जाप।।

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