Nihal poet   (Nadan Dil Nihal ✍)
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Nihal nadan kavi
Joined 26 August 2017


Nihal nadan kavi
Joined 26 August 2017
15 JUN AT 20:01

ढलने लगी थी रात के तुम याद आ गये
फिर यूं हुआ के रात बड़ी दर तक रही...!

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2 SEP 2024 AT 11:55

दरख़्त करते नहीं इसलिए उमीद-ए-वफ़ा

वो जानते हैं परिन्दों के पर निकलते हैं...!!!

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14 AUG 2024 AT 11:41

उन को बुलाएँ और वो न आएँ तो क्या करें
बेकार जाएँ अपनी दुआएँ तो क्या करें...?

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26 JUL 2023 AT 11:19

एक बार दस्तक देने पर जो दरवाजा न खुले,
वहाँ बार -बार खटखटाना व्यर्थ होता है..!

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11 FEB 2023 AT 23:58

खुद्दारी सहेज कर रखना ,
दौलत तो आती जाती रहेगी ..!!

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11 FEB 2023 AT 21:35

दिल को हज़ार चीख़ने चिल्लाने दीजिए,
जो आपका नहीं है उसे जाने दीजिए..!!

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2 DEC 2022 AT 21:09

अकेले खड़े होने का साहस रखो,
दुनिया सिर्फ़ ज्ञान देती है साथ नहीं..!

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1 NOV 2022 AT 16:50


‏زندگی تیرے تعاقب میں لوگ
اتنا چلتے ہیں کہ مر جاتے ہیں
ज़िन्दगी तेरे ताक़्क़ुब में लोग
इतना चलते हैं के मर जाते हैं

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18 FEB 2022 AT 22:43

धड़कती क़ुर्बतों के ख़्वाब से जागे तो जाना
ज़रा से वस्ल ने कितना अकेला कर दिया है..!!

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18 FEB 2022 AT 22:29

किसी कमज़र्फ से माँगी नही इमदाद कभी

हमने ग़ुर्बत मे भी मेयार को आला रक्खा...!!

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