Nigar   (Nigar)
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Joined 5 May 2021


Joined 5 May 2021
2 APR 2023 AT 12:23

के जिस नाम को हर सजदे और दुआ में पुकारूं
वो इतना आम तो नहीं की
उससे अपने लफ्जों से पुकारूं
के जिस नाम की पुरी कायनात हो
उसे मांगू भी तो और क्या मांगू

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23 SEP 2022 AT 0:29

सुकून इसी पल में है
इसे तुम अपनी बाहों मे घेर लो
जाता हर एक लम्हा बीता कल है
इससे बस जाने दो...

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5 FEB 2022 AT 16:57

लम्हें कैद कर लम्हें गुजर गए
बातो बातो में यादे रह गए
ज़िन्दगी तो बस पल की हैं
बस यूं ही लड़ते रह गए

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3 DEC 2021 AT 11:29

तेरे आने की खबर से नींद मुझसे रुसवा हैं,
अब भला सपनों की क्या जगह हैं....

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28 NOV 2021 AT 11:35

मंज़िल पाने को कुछ यू निकले थे हम
और राह से कुछ यूं टकरा गए हम
के मंज़िल के करीब होकर भी दूर हो गए हम
राह ने साथ चलना सीखा दिया
और मंज़िल ने रास्ता दिखा दिया



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27 SEP 2021 AT 23:28

हो सकता है आज फिर हमारी बात ना हो,
खुद को तेरे बारे में बता देंगे हम
खुद को फिर समझा लेंगे हम
यूं रोज़ बात करना ज़रूरी तो नहीं
आज फिर खामोश रह लेंगे हम....

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16 JUL 2021 AT 13:24

तकलीफ़ उन्हें है और परेशान वो है
फिर सवाल यह है कि उनकी परेशानी क्यों हैं
इन सवालों से इतने बेखबर क्यों हैं
दूर रह कर भी इतने करीब क्यों हैं??

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7 JUL 2021 AT 21:45

जिन्हें नज़रे तलाशती है वो हमारे कितने करीब है
और हम यूं ही परेशान है उन्हें ढूंडने में....

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26 JUN 2021 AT 22:49

उस पंछी का भी क्या कहना कैद उनकी थीं और रिहाई की तलब उनकी थीं....

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6 JUN 2021 AT 19:53

की मिलने की ख्वाइश में फिर सजने संवरने लगी
आंखो में काजल लगाए फिर शरमाने लगी
हाथो में हरी चूड़ियां पहन फिर आयना देख इतराने लगी
की फिर होगी मुलाकात सोचकर फिर मुस्कुराने लगी...

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