Nidhi Sharma   (Nidhi Sharma)
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Joined 27 October 2017


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Joined 27 October 2017
23 JAN 2021 AT 14:30

एक दिन पर्दा उठेगा इस जहां के नाटकों से,
और खुल जाएंगे सारे राज़ जो सबने छिपाए।

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1 OCT 2020 AT 14:06

अश्क रुकने का नाम नहीं लेते,
इश्क़ उन्हें बहने नहीं देता।
अश्क चाहते हैं हर राज़ खोलना,
पर इश्क़ कुछ कहने नहीं देता।

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24 SEP 2020 AT 15:12

तुम्हें इश्क़ हुआ... अच्छी बात।
मुझसे हुआ.... गलती तुम्हारी।

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25 JUL 2020 AT 15:16

छल, कपट, फरेब इस चेहरे के ही नक़ाब हैं।
दिखते सब मासूम हैं अंदर से सब ख़राब हैं।

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1 JUL 2020 AT 18:39

मेरी हस्ती मिटाने से, ना हासिल कुछ तुझे होगा,
मैं शातिर सी खिलाड़ी हूं, तेरे भीतर ही रहती हूं।

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14 JUN 2020 AT 17:19

अंदर के शोर ने तुम्हें यूं , खामोश कर दिया,
और ये खामोशी जहां में, शोर पैदा कर गई।

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12 JUN 2020 AT 12:28

चाहती हूं अब एक सीढ़ी लगाई जाए,
आसमां तक जाने की राह बनाई जाए,
जमीन पर तो खुदाओं की बहुत तादात है,
खुदा ढूंढने की इक नई बाज़ी लगाई जाए।

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1 JUN 2020 AT 14:36

इक लम्हा था जो गुज़र गया,
इक आंसू था जो ढलक गया,
जाने किस बात की जल्दी थी,
जो ज़मीं छोड़ वो फलक गया।

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19 APR 2020 AT 17:02

इश्क़ और उससे.. हा हा..
आप भी क्या खूब मज़ाक करते हैं।
अजी वो खुदा है हमारा,
हम उसकी इबादत बेहिसाब करते हैं।

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14 APR 2020 AT 23:16

जिस दिन आंखों से मेरी हंसी खो जाएगी,
और ये आवाज भी खामोश हो जाएगी,
उस दिन तुम्हें मेरी बहुत याद आएगी।
जब ये हवा भी हौले से लहराएगी,
सूरज पर भी काली बदली सी छाएगी,
हां,उस दिन, तुम्हें मेरी बहुत याद आएगी।
जब ये धरती भी अंबर से मिल जाएगी,
और ये रूह भी जिस्म से उड़ जाएगी,
उस दिन तुम्हें मेरी बहुत याद आएगी।
जब जब ये बारिश तुमसे टकराएगी,
जब जब ये रात चांदनी लेकर आएगी,
तब तब तुम्हें मेरी बहुत याद आएगी।

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