गूंजते सन्नाटे
भीड़ में- शोर में-रास्ते में - सफ़र में ,
बड़े शहर के हर नुक्कड़ में - शाम में और सहर में
अपने अंदर मच रहे कोहराम के क़हर में,
गूँजते है सन्नाटे- गूँजते है सन्नाटे ।
रिश्तों की उधेड़ बुन में- नोक झोक खींच तान में
किराए के मकान में- दो तलवारों वाले म्यान में,
बिखरते सपनों में, उजड़ते हौसलों के बयान में,
गूँजते है सन्नाटे- गूँजते हैं सन्नाटे ।।-
Dreams they say, come true
Dreams they say, Don’t let us sleep
Dreams make us climb the mountains high,
And help us dive the seas so deep
Dreams give us power to trust
And courage to do the impossible
Dreams they say come true as often,
When we believe we can make it happen.-
जिसने जैसा चाह उसने वैसा ढूंढा…
इश्क़ मर्ज़ ऐसा की जिसने सबको लूटा…
हुस्न ने ढूंढी खूबसूरती इश्क़ में,
एहसास ने इश्क़ में गुफ़्तगू को ढूँडा
ढूँढने चला ज़ख़्म , मरहम को इश्क़ में,
अकेलेपन ने - साथ की चाहत को ढूंढा
मिल गया का सबको मुकम्मल- इश्क़ ने पूछा ,
सबको इश्क़ तो मिला ——पर अपने पैमाने से नहीं।
ख्वाहिश क्या ही रह जाती - अगर पूरी यूं हो जाती,
इश्क़ तरसने के लिया बना है —— निभाने को नहीं ।-
यकायक आईना देख के भर आई आँखें,
के जब झुलसा हुआ चेहरा देखा अपना
तेरी तन्हाई की धूप में दिन-दिन,
सूखता बिखरता चेहरा देखा अपना
तिल-तिल सहेज के रखा था जिन आँखों ने यक़ीन,
उन आँखों के नीचे गड्ढा पड़ता देखा अपना
यकायक आईना देख के भर आई आखें,
जब राह तकते-तकते अब तेरे लायक़ ना रहा चेहरा अपना।-
कुछ मंजिलें ठीक है बिना हासिल हुए ही
हर ख़्वाब का मुकम्मल हो जाना भी ठीक नहीं है
कुछ ख्वाहिशें अधूरी ही अच्छी लगती हैं,
जिनके किस्से ही महका दें महफिलों को-
चाहत इतनी की हर शर्त मान लू,
गुमान इतना के एक क़सम ना तोड़ूँ कभी ,
पा लूँ उसे तो जीत लू जाग सारा
पर उसकी चाहत बने बिना जीना ना पड़े कभी ।-
हर वक्त किसी को समझ पाना मुमकिन नहीं
हर वक्त समझने की ज़रूरत भी तो नही ,
जब बिना समझे भी लगे के ठीक ही होगा
समझ लेना इश्क़ की कोई हद ही नहीं ।
और मान जाता हूँ उसकी बेकार की बातों को भी
ज़्यादा कुछ मांगा नहीं करती है मुझसे वो,
पर माँग ले अगर आसमान भी - तो कदमों में रख दूँ
इश्क़ से बढ़कर मर्ज़ और मकसद भी तो नहीं ।-
For years I had soaked myself
In fear and distress
What happens if if do t make it
Without money how will I rest
And fears of loss kept me involved
In toxic work at hell
Where everyday I sold my soul
And died a little as well
Courage it takes they told me
And run faster than you can think
Pull and push and exert and manage
And every thing shall be plump and pink
Bud sadly nothing changed there
Despite my maximum effort
They seemed not to care for anything
Not even when I was in distress
And one day I just broke
And sad I might not get up
I decided to quit and did it
And not be filled with regret
We all deserve humanity
To treat us with respect
And when the boundaries are broken
Please walk out with respect-