जिसने सीख लिया खुद से प्यार करने का सलीका,
उसने सुलझा लिया जिंदगी जीने का तरीका!-
तुम मेरा परिवार बने रहे...
तुम मुझे पिता जैसे अनुशासित रखते रहे,
तुम मेरी माँ जैसे फ़िक्र करते रहे,
तुम भाई जैसे दुनियादारी सिखाते रहे,
तुम बहन जैसे रिश्ते निभाना सिखाते रहे,
तुम दादा - दादी जैसे कहानियाँ सुनाते रहे,
तुम नाना - नानी जैसे खिलाते रहे,
तुम बेटी की तरह गुरूर बने रहे,
तुम बेटे की तरह ज़िम्मेदार बने रहे,
तुम जीवन साथी की तरह साथ निभाते रहे,
लेकिन, क़िस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था,
उम्मीद है, अब जिंदगी भर दोस्ती निभाते रहें!!!-
Pehle sukoon paane ki bechaini
Phir sukoon sambhalne ki bechaini
Aakhir sukoon kho dene ki bechaini
Ek simple sukoon ke itne betaab bechainiyaan
Sukoon na paya jata hai na khoya jata hai,
Sukoon sirf mehsoos kiya jata hai!-
From : हम नहीं जानते क्या चल रहा है...
To : बस यही चल रहा है..!
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एक एक से नाम पूछते हुए दोस्ती का हाथ बढ़ाया था,
साथ रहने का वादा किया था!
१०-१२ इम्तेहान कॉलेज के नाम थे,
ज़िंदगी के इम्तेहान एक दूजे के सहारे दे हैं!
किसी ने अपनी पहचान बनाई है,
किसी ने अपनी पहचान सवांरी है!
किसी ने यहां जीना सीखा है,
किसी ने मरे हुए को ज़िंदा किया है!-
पहले यह सोचते थे, घर से कैसे बाहर जाऊं,
अब समझ नहीं आता, घर कैसे जाऊँ!
पहले घरवालों से setting लगाते बाहर जाने के लिए,
अब बाहरवालों से छुट्टी की request होती है घर जाने के लिए!
पहले माँ बाबा की इतनी फ़िक्र होती थी नहीं,
अब उनकी छोटी सी बात दिमाग से मिटती नहीं!
पहले सोचते थे घर से बाहर आज़ादी होगी,
अब समझ आया, अकेले रहने ज़िम्मेदारी भी मुश्किल होगी!
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Khushiyaan parayon ke saath phir bhi baatoge,
Dard apno ke saath nahi, kiske saath baatoge?
Aansoo se darr ke kya hoga,
Aakhir, dil apna bhi halka hoga!-
दूर होने का ख़्याल भी कभी ना था गवारा,
अब लगता है मन भटकता है आवारा!
यह फ़ासलें हमें सताती बहुत हैं,
प्यार के नए अंदाज़ भी सिखाती हैं!
नज़दीकियों की चाहत हमें तड़पाती है,
अपने हमसफ़र से मिलने की बेसबरी भी बढ़ाती है!
उनसे मिलने की है हमारी चाहत,
सपनों से बाहर हमेशा ले आती है हकिकत!
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