Nidhi Gupta   (निधि गुप्ता)
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M whi likhti hu jo mera dil kahta h..
tum bh whi smjhna jo tumhra dil smjhta h..
Joined 13 January 2018


M whi likhti hu jo mera dil kahta h..
tum bh whi smjhna jo tumhra dil smjhta h..
Joined 13 January 2018
13 JUN 2022 AT 23:20

मैंने बहा दी तेरी सारी यादें इन बूंदों के साथ
आज पहली बार तन के साथ मन भी भीगा है।

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11 JUN 2022 AT 12:00

काला काजल
काली आंखें
काली बिंदी
काला तिल
काले बाल
काली साड़ी
काली कमीज़
काली कमली वाला
ये सभी को प्रिय हैं..
तो फिर
तन का रंग
केवल गोरा क्यूं?

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30 MAY 2022 AT 12:31

वो अज़नबी होकर भी अज़नबी नहीं लगता
कुछ तो अपनापन है उसकी बातों में।

यूं तो कट रही थी ज़िंदगी पहले भी
यूं तो..कट रही थी ज़िंदगी पहले भी!

पर अब कुछ तो नयापन है इन रातों में।।

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19 FEB 2019 AT 23:51

20 फ़रवरी 1994 था वो शुभ दिन जब दो अज़नबी बने एक दूजे के हमसफ़र..
कसमें खाई कि निभाएंगे साथ हर कदम पर चाहे कितनी भी कठिन क्यूं ना हो ये डगर..

एक दूजे को हंसने- हंसाने, रूठने - मनाने में गुज़रते गए वो प्यारे से पल..
अब यादों के झरोखों में महक उठते हैं भीनी खुशबू लिए वो सारे प्यारे से पल..

एक दूजे का हर सुख - दुख में साथ निभाया और निभाते रहेंगे उम्रभर..
आखिर पल - दो - पल का नहीं ये सफर तो चलेगा जिंदगीभर..

२५ सालों का ये प्यारा सफ़र हो जैसे कल की ही बात..
वक़्त का पता ही नहीं चला जब हमेशा रहा एक दूजे का साथ..

आज इस हसीन मौके पर दुआ करता है ये दिल बार बार..
हमेशा प्यार भरा रहे आपका ये रिश्ता और खुशियों की हो हरपल बहार ।।














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7 AUG 2020 AT 14:26

तू बन के घटा छा गया है मुझ पर
मैं बदली बन इतरा रही हूं खुद पर।

आ भिगा दे सबको इश्क़ के रंग में साथ मिलकर
तू और मैं बरस जाए एकसाथ इन बूंदों में घुलकर।।

- निधि गुप्ता


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20 JUN 2020 AT 23:53

पिता का कद आसमां से भी ऊंचा और उनका प्रेम समन्दर से भी ज्यादा गहरा होता है।
जीवन की हर परिस्थिति में एक पिता ही हैं जिनका हर पल पहरा होता है।।

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19 JUN 2020 AT 21:56

बरसों से सब एक ही राग अलापे जा रहे थे,
पर उसने खुद के लिए एक नई धुन रची।

कुछ अलग करने की जो ठानी थी उसने,
आखिर खुद के दिल की ही तो मानी थी उसने।।

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18 JUN 2020 AT 11:38

मेरी देहरी से तेरी देहरी तक..
मेरी ज़िन्दगी ने अपनी राहें कुछ यूं मोड़ी है...

लाज शर्म की मुस्कान है होठों पर अब..
वो बेबाक हंसी अब थोड़ी है।

ठहरे थमे से रहते हैं कदम अब..
वो शरारत भरी थिरकन अब कहां दौड़ी है।

ख्वाब गिने चुने ही आते हैं अब..
वो अनगिनत ख्वाबों की चुनरी अब मैंने नहीं ओढ़ी है।

खुद की छोड़ बाकी सबकी फिक्र रहती है अब..
वो बेपरवाह सी लड़की अब मैंने पीछे छोड़ी है।

एक बेटी, एक बहु बन गई है अब..
वो जनम के रिश्ते नाते संग एक नई लगन अब मैंने जोड़ी है।

मेरी देहरी से तेरी देहरी तक..
मेरी ज़िन्दगी ने अपनी राहें कुछ यूं मोड़ी है।।

- निधि गुप्ता







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16 JUN 2020 AT 22:04

बेखबर मत रहो, तुम होश में रहो
क्यूं इतने सुस्त हो, थोड़ा जोश में रहो।
बेसबर भी मत रहो, तुम तोष में रहो
ज़िन्दगी चाहे जैसी हो, तुम अपनी मौज में रहो।

- निधि गुप्ता

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16 JUN 2020 AT 0:12

कितना अजीब है ना !
ये आंखें जब हंसती हैं तब दिल छू लेती हैं..
और जब ये रोती हैं तब सांसें !!

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